Cell structure and function | कोशिका की संरचना एवं कार्य

Cell structure and function | कोशिका की संरचना एवं कार्य

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Cell structure and function – कोशिका की संरचना एवं कार्य ! कोशिका के बारे में विस्तृत पोस्ट ! कोशिका की संरचना, कोशिकांग, कोशिका के कार्य, कोशिका के प्रकार, कोशिका का आकार आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी इस पोस्ट में आपको मिलेगी ! Cell Structure and Function, Biology का बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है इस टॉपिक से एग्जाम में हर बार प्रश्न पूछे जाते हैं ! आप एक बार इस पूरी पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़ें आपको इससे अवश्य फायदा मिलेगा !
नोट :- इसकी pdf File Download करने के लिए लिंक पोस्ट के अंत में दिया गया है !

कोशिका संरचना से संबंधित MCQ

भौतिक विज्ञान महत्वपूर्ण MCQ

Cell structure and function | कोशिका की संरचना एवं कार्य

कोशिका क्या है

कोशिका जीवन का मूल आधार है !
कोशिका हमारे शरीर द्वारा होने वाले सभी कार्यों को करती हैं !
पुरे ब्रम्हांड में कोई भी जीव बिना कोशिका के नहीं बन सकता अर्थात किसी भी जीव की संरचना इस कोशिका से ही हुई है !
कोशिका सजीवों के जीवन की सबसे छोटी संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है !
सजीव पदार्थ या द्रव्य को घेरे हुए कोशिका के बाहर एक झिल्ली पाई जाती है
कोशिका सबसे छोटी इकाई होती है इसलिए इसका मापन माइक्रोन में किया जाता है !

कोशिका की खोज

सन 1665 में रॉबर्ट हुक ने कॉर्क (पेड़ के की छाल या टुकड़े) का अध्ययन करके कोशिका की खोज की थी जो मृत कोशिका थी !
रॉबर्ट हुक ने अपनी पुस्तक ‘माइक्रोग्राफिया’ में कोशिका की खोज के बारे में बताया था !
रॉबर्ट हुक की खोज के बाद डूट्राचेट नामक वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम बताया की जन्तु एवं पादप उत्तक कोशिकाओं से बने होते हैं !
जीवित कोशिका की सर्वप्रथम खोज एन्टोनीवॉन ल्यूवेनहॉक ने 1674 में की थी !
एन्टोनीवॉन ल्यूवेनहॉक को सूक्ष्म जीव विज्ञान का जनक (Father of Microbiology) कहा जाता है !
कोशिका के अन्दर एक केन्द्रक भी होता है यह सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्रॉउन ने बताया जो आर्किड नामक पौधे से खोजा था अर्थात केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्रॉउन ने की थी !

गुरुत्वाकर्षण बल से संबंधित

कोशिका का आकार

सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा है जिसका आकार 0.1 से 0.3 माइक्रोन होता है !
सबसे बड़ी कोशिका शतुरमुर्ग का अंडा है !
माइकोप्लाज्मा एक जीवाणु है जिसमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है !
सबसे लम्बी कोशिका तंत्रिका कोशिका है

कोशिका की आकृति

कोशिकाएं अनेक प्रकार की आकृतियों में पाई जाती है जैसे – गोलाकार, बेलनाकार, नलाकार आदि !
कुछ कोशिकाएं ऐसी होती हैं जिनकी आकृतियों में बार-बार परिवर्तन होता रहता है जैसे – अमीबा, ल्यूकोसाइट्स !

एककोशिकीय जीव 

जिन जंतुओं में एक कोशिका पाई जाती है उन्हें एक कोशिकीय जीव कहा जाता है ! जैसे- अमीबा
अमीबा एककोशिकीय जीव है अत: इसे अकोशिकीय जन्तु भी कहा जाता है क्योंकि अमीबा खुद एक कोशिका है !

बहुकोशिकीय जीव 

जिन जीवों में एक से अधिक कोशिकाएं पाई जाती हैं उनको बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है जैसे – मानव, कवक आदि

कोशिका सिद्धांत

1838 में जर्मन वनस्पति वैज्ञानिक एम जे स्लाइडेन ने अनेक पौधों पर अध्ययन के बाद पाया कि पौधे विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं जो पौधों में उत्तकों का निर्माण करती हैं !
1839 में जर्मन प्राणी वैज्ञानिक टी श्वान ने विभिन्न जन्तु कोशिकाओं पर अध्ययन किया और अध्ययन के बाद पाया कि जन्तु कोशिकाओं के बाहर एक पतली परत या झिल्ली होती है जिसे अब जीव द्रव्य झिल्ली (Cell membrane या plasma membrane) कहा जाता है !
स्लाइडेन एवं श्वान ने बताया की प्राणियों एवं वनस्पतियों के शरीर कोशिकाओं एवं उनके उत्पाद से मिलकर बने हैं !
श्वान एवं स्लाइडेन दोनों ने संयुक्त रूप से कोशिका सिद्धांत को प्रतिपादित किया था परंतु ये नई कोशिकाओ के निर्माण के बारे में नहीं बता पाए !

उत्तक क्या है – जब कोई एक कोशिका अन्य कोशिकाओं के साथ मिलकर एक समूह बना ले तो वह उत्तक कहलाता है !

कोशिका सिद्धांत के मुख्य बिन्दु

1. सभी सजीव कोशिकाओं द्वारा बने होते हैं !
2. कोशिका सजीवों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है
3. कोशिकाएं आनुवांशिक एकक होती हैं
4 नई कोशिकाओं का निर्माण पूर्ववर्ती कोशिकाओं द्वारा होता है
5. बहु कोशिकीय जीवों की क्रियाएं सभी कोशिकाओं की क्रियाओं का परिणाम हैं

मानव श्वसन तंत्र से संबंधित 

कोशिका सिद्धांत के अपवाद

प्रोटोजोआ के सदस्य (अमीबा, पैरामिशियम) ये सभी अकोशिकीय जन्तु है
वायरस (विषाणु) कोशिका सिद्धांत की पालना नहीँ करता है इनमें जीव द्रव्य नहीं पाया जाता है
वायरस पोषी कोशिका की अनुपस्थिति में जनन नहीं कर पाते हैं
वायरस को सजीव एवं निर्जीव के बीच की योजक कड़ी कहा जाता है

जीवद्रव्य (Protoplasm) – कोशिका झिल्ली के अंदर भरे हुए द्रव्य एवं केन्द्रक को सम्मिलित रूप से जीवद्रव्य कहा जाता है
कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) कोशिका भित्ति या झिल्ली के अंदर भरे हुए द्रव्य को कोशिका द्रव्य कहा जाता है बिना केन्द्रक के
प्रोटोप्लास्ट – पादप कोशिका में कोशिका भित्ति के अंदर मौजूद कोशिका झिल्ली, कोशिका केन्द्रक एवं द्रव्य को कहा जाता है

कोशिका की विशेषताएं

सभी कोशिकाओं में जीवित पदार्थ पाया जाता है जिसे जीवद्रव्य (Protoplasm) कहा जाता है
जीवद्रव्य में केन्द्रक (न्यूक्लियस) पाया जाता है !
सभी कोशिकाओं के चारों और कोशिका झिल्ली पाई जाती है
पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति भी पाई जाती है !

कोशिका के प्रकार

केन्द्रक की उपस्थिति एवं अन्य आधारों पर कोशिकाओं को दो भागों में बाँटा गया है –

1. प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं
2. यूकैरियोटिक कोशिकाएं

1. प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं

प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में झिल्लीयुक्त कोशिकाओं का अभाव पाया जाता है
इनमें केन्द्रक अनुपस्थित होता है तथा उसके स्थान पर न्यूक्लिऑइड पाया जाता है
इनके अन्तर्गत जीवाणु, नीलहरित शैवाल, (साइनोबैक्टीरिया) एवं माइकोप्लाज्मा आते हैं
ये यूकैरियोटिक कोशिकाओं से काफी छोटी होती हैं एवं ये तेजी से विभाजित होती हैं
प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं कई आकार में पाई जाती है जैसे –
जीवाणु की कोशिकाएं चार प्रकार के आकार में पाई जाती है 1. डंडाकार 2. गोलाकार, 3. कोशाकार, 4. सर्पीलाकार !
माइकोप्लाज्मा के अलावा सभी प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिका भित्ति पाई जाती है जो कोशिका झिल्ली से घिरी रहती है !
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में सिर्फ राइबोसोम पाया जाता है अन्य कोशिकांग इनमें नहीं पाये जाते हैं !
प्रोकैरियोटिक कोशिका में विशेष रूप से जीवाणु कोशिकाओं में एक जटिल रासायनिक कोशिका आवरण पाया जाता है ये आवरण तीन स्तरीय होता है जिसमें बाह्य परत ग्लाइकोकेलिक्स, इसके बाद क्रमश: कोशिका भित्ति एवं जीवद्रव्य झिल्ली होती है ! ये तीनों मिलकर सुरक्षा का कार्य करती है !

2. यूकैरियोटिक कोशिकाएं

यूकैरियोटिक कोशिका में केन्द्रक के अलावा कोशिका द्रव्य में अन्य झिल्ली युक्त विभिन्न संरचनाएं मिलती जिन्हे कोशिकांग (Organelles) कहा जाता है जैसे –
अंतप्रद्रव्यी जालिका, सूत्रकणिका, सूक्ष्मकाय, गोल्जीकाय, रसधानी, राइबोसोम, केन्द्रक एवं केन्द्रक के बाहर केन्द्रक झिल्ली !
यूकैरियोटिक कोशिकाओं में झिल्लीयुक्त केन्द्रक पाया जाता है जिसके अंदर DNA पाया जाता है

पादप कोशिका एवं जन्तु कोशिका में अंतर

पादप कोशिका आयताकार होती है जबकि जन्तु कोशिका गोलाकार या अंडाकार होती है
पादप कोशिका में बाहर की ओर कोशिका भित्ति पाई जाती है जबकि जन्तु में यह नहीं पाई जाती है
पादप एव जन्तु कोशिका दोनों में कोशिका झिल्ली पाई जाती है !
पादप कोशिका में केन्द्रक बीच में स्थित नहीं होता है जबकि जन्तु कोशिका में केन्द्रक लगभग बीच में पाया जाता है !
पादप कोशिका में बड़ी रिक्तिका (रसधानी) पाई जाती है जबकि जन्तु कोशिका में या तो रिक्तिका अनुपस्थित होती है या बहुत छोटी होती हैं
जन्तु कोशिका में तारककाय पाया जाता है जबकी लगभग सभी पादप कोशिका में तारककाय अनुपस्थित होते हैं

कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)

कोशिका झिल्ली मुख्यत: लिपिड (फॉस्फोलिपिड) व प्रोटीन की बनी होती है
फॉस्फोलिपिड झिल्ली में कोलेस्ट्रॉल भी पाया जाता है
विभिन्न कोशिकाओं में प्रोटीन व लिपिड का अनुपात भिन्न भिन्न होता है इसमें ज्यादा मात्रा प्रोटीन की रहती है
पादप कोशिका में निर्जीव कोशिका भित्ति के अंदर सजीव कोशिका झिल्ली पाई जाती है

कोशिका झिल्ली के कार्य

कोशिका झिल्ली कोशिका में पदार्थों के आने एवं जाने का नियंत्रण करती है अर्थात ये पारगम्यता को प्रदर्शित करती है
इसे अर्द्ध पारगम्य झिल्ली भी कहा जाता है !
जब कोई बाहरी पदार्थ कोशिका झिल्ली के माध्यम से कोशिका के अंदर लिया (अंतर्ग्रहण) जाता है तो इसे एंडोमाइटोसिस कहा जाता है
किसी तरल पदार्थ का अंतर्ग्रहण पिनेकोसाइटोसिस कहलाता है एवं किसी ठोस पदर्थ का अंतर्ग्रहण फेगोसाइटोसिस कहलाता है

कोशिका भित्ति (Cell Wall)

पादप एवं कवक में जीव द्रव्य झिल्ली के बाहर दृढ़ निर्जीव आवरण के रूप में पाई जाती है
कोशिका भित्ति बाहरी हानियों एवं संक्रमण से सुरक्षा एवं कोशिकाओं के बीच आपसी संपर्क बनाए रखने का कार्य करती है
शैवाल की कोशिका भित्ति सेलुलोज, गैलेक्टेस व कैल्शियम कार्बोनेट की बनी होती है जबकि दूसरे पौधों में यह सेलुलोज, हेमीसेलुलोज, पेक्टीन व प्रोटीन की बनी होती है

कोशिकांग (Cell Organelles)

अंतर्द्रवयी जालिका, गोल्जीकाय, रसधानी ये तीनों कोशिकांग अंत: झिल्लिका तंत्र के अंतर्गत आती हैं जबकि अन्य कोशिकांग (क्लोरोप्लास्ट, लाइसोसोम, माइट्रोकोन्ड्रिया, राइबोसोम, रिक्तिका, साइटोप्लाज्म, गोल्जीकाय, केन्द्रक) अंत: झिल्लिका तंत्र के अंतर्गत नहीं आते हैं !

अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum)

अंतर्द्रव्यी जालिका की खोज पोर्टर ने की थी !
इसे कोशिका का कंकाल कहा जाता है
ये संकरी समांतर या नलिकाकार की होती है
यह कोशिका के परिवहन तंत्र के रूप में कार्य करती हैं
अंतर्द्रव्यी जालिका केन्द्रक से कोशिका द्रव्य के बीच अभिगमन में सहायक हैं
यह कोशिका को आकार व दृढ़ता प्रदान करती हैं
अंतर्द्रव्यी जालिका द्वारा ही गोल्जी का निर्माण होता है
अंतर्द्रव्यी जालिका केन्द्रक के आस पास पाई जाती है अर्थात केन्द्रक से चिपकी रहती है इसका निर्माण केन्द्रक से ही होता है
अंतर्द्रव्यी जालिका प्रोकैरियोटिक में अनुपस्थित होती है
अंतर्द्रव्यी जालिका मुख्यत: दो प्रकार की होती है –

1. चिकनी अंतर्द्रवयी जालिका (SER)

यह कोलेस्ट्रॉल, स्टीरॉइड्स व ग्लाइकोजन का संग्रहण करती हैं
विष या जहर को कम करने का काम करती हैं

2. खुरदरी अंतर्द्रवयी जालिका (RER)

खुरदरी अंतर्द्रवयी जालिका में राइबोसोम पाए जाते हैं इसी कारण से ये खुरदरी होती हैं
RER ज्यादातर प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करती हैं

गोल्जीकाय (Golgi)

केमिलो गोल्जी ने गोल्जीकाय की खोज की थी
यह प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में अनुपस्थित होता है
गोल्जी नलिकाकार एवं समांतर रूप से व्यवस्थित संरचना होती है
यह अग्नाशयी रस एवं मयुकस स्रावण का कार्य करती हैं
गोल्जीकाय लाइसोसोम एवं उपास्थियों के निर्माण में सहायक हैं
यह पादप कोशिका में कोशिका भित्ति का निर्माण करती हैं

लयनकाय (Lysosomes)

सी डी डूवे ने लाइसोसोम की खोज की थी
ये कोशिका के बाह्य एवं आंतरिक पदार्थों के पाचन का कार्य करता है
ये प्राय: जन्तु कोशिकाओं में पाए जाते हैं परंतु पादप कोशिका में इनकी उपस्थिति बहुत कम होती है
वह कोशिका जिसमें लाइसोसोम होता है लाइसोसोम उसी कोशिका के कोशिकांगों का पाचन कर जाता है इसलिए इसे आत्मघाती थैली भी कहा जाता है
यह मृत कोशिकाओं को हटाने का कार्य करता है
नये लाइसोसोम का निर्माण गोल्जीकाय से होता है

राइबोसोम (Ribosomes)

जॉर्ज पेलेड (1955) ने राबोसोम की खोज की थी
यूकैरियोटिक एवं प्रोकैरयोटिक दोनों में राइबोसोम उपस्थित होता है अर्थात ये प्राणी एवं पादप दोनों की कोशिकाओं में पाया जाता है
राइबोसोम, प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में स्वतंत्र रूप में रहते हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिका द्रव्य के साथ-साथ अंतर्द्रव्यी जालिका की झिल्लियों पर भी चिपके रहते हैं
राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण का कार्य करता है इसे प्रोटीन की फैक्ट्री कहा जाता है
राइबोसोम कोशिका की जीव द्रव्य झिल्ली से जुड़े होते हैं
राइबोसोम दो उप इकाइयों से मिलकर बना होता है जो आपस में मिलकर 70 S(स्वेगबर्ग) प्रोकैरियोटिक राइबोसोम बनाते हैं
राइबोसोम में 60 प्रतिशत राइबोनयूक्लिक अम्ल (RNA) तथा 40 प्रतिशत प्रोटीन होते हैं
राइबोसोम में पाए जाने वाले RNA को राइबोसोमल RNA (r-RNA) कहते हैं

सूत्रकणिका (Mitochondria)

अल्टमैन ने माइट्रोकोन्ड्रिया को खोजा था एवं बेन्डा ने (1897) माइट्रोकोन्ड्रिया नाम दिया था
इसे कोशिका का पॉवर हाउस कहा जाता है
इसे कोन्ड्रियोसोम भी कहा जाता है
माइट्रोकोन्ड्रिया यूकैरियोटिक कोशिकाओं में पाया जाता है ! ये जीवाणु व नील हरित शैवाल की कोशिकाओं में अनुपस्थित होता है
प्रत्येक माइट्रोकोन्ड्रिया दोहरी परत वाली झिल्ली से घिरा रहता है
माइट्रोकोन्ड्रिया की अंदर वाली झिल्ली से अंगुलियों की जैसे उभार निकले रहते हैं जिन्हें क्रिस्टी कहा जाता है
माइट्रोकोन्ड्रिया के अंदर भरे हुए प्रोटीन युक्त जैली जैसे पदार्थ को मैट्रिक्स (आधात्री) कहा जाता है !
क्लोरोप्लास्ट की भांति माइट्रोकोन्ड्रिया में DNA, RNA, एवं राइबोसोम की उपस्थिति यह बतलाती है है कि ये स्वशासित कोशिकांग है
यह खाद्य पदार्थों का ऑक्सीकरण करता है

लवक (Plastid)

लवक जीवाणु, कवक एवं नील हरित शैवाल (साइनोबैक्टीरिया) में अनुपस्थित होते हैं
रंग के आधार पर लवक तीन प्रकार के होते हैं –

1. अवर्णीलवक (Leucoplast)
2. हरित लवक (Chloroplast)
3. वर्णी लवक (Chromoplast)

अवर्णीलवक – ये रंगहीन होते हैं ! इनमें खाद्य पदार्थ संचित रहते हैं
हरित लवक – ये हरे रंग के होते हैं इनमें क्लोरोफिल (पर्णहरित वर्णक) व केरोटिनॉइड वर्णक पाया जाता है जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक प्रकाशीय ऊर्जा को संचित रखने का कार्य करते हैं !
वर्णी लवक – ये लवक रंगीन होते हैं इनमें केरोटिनॉइड वर्णक पाए जाते हैं जो दो प्रकार के होते हैं –
1. केरोटीन
2. जैंथोफिल
उपर्युक्त दोनों वर्णकों के कारण ही पादपों के पीले, नारंगी एवं लाल रंग होते हैं (सिवाय हरे रंग के)

तारककाय एवं तारककेंद्र (Centrosomes & Centrioles)

तारक काय वह अंगक है जो दो बेलनाकार संरचना से मिलकर बना होता है जिसे तारक केंद्र कहा जाता है
दोनों बेलनाकार तारक केंद्र तारककाय में एक दूसरे के लम्बवत होते हैं
कोशिका विभाजन के समय ये ध्रुवों का निर्धारण करते हैं

रिक्तिका या रसधानी (Vacuoles)

रिक्तिकाएं कोशिका द्रव्य के अंदर उपस्थित कोशिका द्रव्य रहित क्षेत्र है
रिक्तिका एकल झिल्ली से आवृत होती है जिसे टोनोप्लास्ट कहते हैं
रिक्तिकाएं अंतर्द्रव्यी जालिका के प्रसार एवं धँसने से निर्मित होती है
पादप कोशिकाओं में यह कोशिका का 90% तक स्थान घेरे रहती हैं
पादप कोशिका में बड़ी रिक्तिका (रसधानी) पाई जाती है जबकि जन्तु कोशिका में या तो रिक्तिका अनुपस्थित होती है या बहुत छोटी होती हैं

केन्द्रक (Nucleus)

कोशिकांग केन्द्रक की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्राउन ने की थी
केन्द्रक के चारों तरफ दोहरी परत वाली झिल्ली पाई जाती है
केन्द्रक झिल्ली, केन्द्रक द्रव्य एवं कोशिकाद्रव्य के बीच अवरोध का काम करती है अर्थात कोशिकाद्रव्य एवं केन्द्रक द्रव्य को अलग करने का काम करती है
केन्द्रक में धागे समान संरचना होती है जो क्षारीय रंग से रंजित होती हैं जिन्हे क्रोमोटीन कहा जाता है
केन्द्रकीय अधात्री में एक या अधिक गोलाकार संरचनाएं मिलती है जिन्हे केंद्रिका कहा जाता है
केंद्रीका नाम वैज्ञानिक फोन्टाना ने दिया था
केंद्रीका, झिल्ली रहित संरचना होती है जिसका द्रव्य केन्द्रक से सीधे संपर्क में रहता है
साधारणतया एक कोशिका में एक ही केन्द्रक पाया जाता है परंतु पैरामिशियम में दो केन्द्रक पाए जाते हैं

न्यूटन के गति के नियम 

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