Human Respiratory System | मानव श्वसन तंत्र

Human Respiratory System | मानव श्वसन तंत्र

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Human Respiratory System – मानव श्वसन तंत्र के बारे में विस्तार से इस पोस्ट में बताया गया है ! श्वसन तंत्र Biology का बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है ! इस टॉपिक से हर प्रकार के Competition Exams में भी Questions पूछे जाते हैं ! इस पोस्ट को आप एक बार पढ़ें और श्वसन तंत्र के बारे में जाने !

मानव श्वसन तंत्र से संबंधित 85 MCQ

अंत: स्रावी ग्रंथियां एवं हार्मोन

Human Respiratory System | मानव श्वसन तंत्र

श्वसन क्या है

श्वसन एक उपापचय (metabolic) है जिसके द्वारा कोशिकाएं ग्लूकोज और अन्य कार्बनिक अणुओं के टूटने के माध्यम से एटीपी (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में ऊर्जा उत्पन्न करती हैं।
यह सजीवों में होता है जैसे – पौधे, जानवर, प्राणी
श्वसन शरीर के ऊर्जा संतुलन को बनाए रखता है
श्वसन का शारीरिक विकास एवं वृद्धि जैसी कोशिकीय प्रक्रियाओं में सबसे बड़ा योगदान है।
यह शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड जैसे अपशिष्ट उत्पादों के निष्कासन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

श्वसन मुख्यत: दो प्रकार का होता है –  वायवीय श्वसन और अवायवीय श्वसन !
वायवीय श्वसन  यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है जो ग्लूकोज के प्रति अणु में सबसे अधिक एटीपी का उत्पादन करता है।
अवायवीय श्वसन  यह ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है यह एटीपी की एक छोटी मात्रा का उत्पादन करता है।

नोट :- वायवीय एवं अवायवीय श्वसन को विस्तार से पढ़ने के लिए पादप में श्वसन पोस्ट को देखें !

श्वसन तंत्र क्या है

हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह नाक या मुंह के माध्यम से श्वासनली से होकर शरीर में प्रवेश करती है !
श्वासनली, श्वसनी और श्वसनिका के रूप में जानी जाने वाली छोटी शाखाओं में विभाजित हो जाती है। ये शाखाएँ अंत में कूपिकाएं नामक छोटी वायु थैली की ओर ले जाती हैं जो केशिकाओं के रूप में जानी जाने वाली छोटी रक्त वाहिकाओं से घिरी होती हैं।

हम जब भी सांस लेते हैं तो उससे ऑक्सीजन कूपिकाओं और केशिकाओं के माध्यम से रक्तप्रवाह में चली जाती है जबकि कार्बन डाइऑक्साइड जो कोशिकीय श्वसन का एक अपशिष्ट पदार्थ है रक्त प्रवाह से बाहर निकल जाती है और फिर हम हवा में सांस ले पाते हैं !
कुल मिलाकर श्वसन तंत्र शरीर को ऑक्सीजन प्रदान करने और कोशिकीय श्वसन के अपशिष्ट पदार्थों को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Previous year Question Paper MCQ 

सांस लेने के लिए जिम्मेदार शरीर में अंगों और ऊतकों का एक समूह है जो रक्तप्रवाह के बीच ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के आदान-प्रदान के लिए जिम्मेदार होते हैं ।
श्वसन तंत्र के अंर्तगत प्राथमिक अंग फेफड़े, श्वासनली, श्वसनी, श्वसनिका और कूपिकाएं आते हैं।

कोशिकीय श्वसन

कोशिकीय श्वसन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोशिकाएँ जैविक यौगिकों (मुख्य रूप से ग्लूकोज) से ऊर्जा उत्पन्न करती हैं !
यह यूकेरियोटिक कोशिकाओं के माइटोकॉन्ड्रिया में होता है और इसमें ग्लाइकोलाइसिस, साइट्रिक एसिड चक्र और ऑक्सीडेटिव फास्फारिलीकरण सहित कई चरण शामिल होते हैं।
कोशिकीय श्वसन के दौरान ग्लूकोज छोटे-छोटे अणुओं में टूट जाता है और सारी ऊर्जा ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में जमा हो जाती है।
यह प्रक्रिया कोशिकाओं की उपापचय गतिविधियों को बनाए रखने, विकास, प्रजनन और अन्य कार्यों के लिए कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करने के लिए आवश्यक है।

मानव श्वसन तंत्र

मानव श्वसन तंत्र अंगों और ऊतकों की एक जटिल प्रणाली है !
इस तंत्र के माध्यम से शरीर में ऑक्सीजन लाने और कार्बन डाइऑक्साइड को निकालने के लिए अनेक अंग अलग-अलग भूमिका निभाते हैं !
मानव श्वसन तंत्र को तीन भागों में विभक्त किया गया है जो निम्न हैं –
1. ऊपरी श्वसन तंत्र
2. निचला श्वसन तंत्र
3. श्वसन मांसपेशियाँ

1. ऊपरी श्वसन तंत्र

 ऊपरी श्वसन तंत्र के अंतर्गत आने वाले श्वसन अंग निम्नलिखित हैं –
नासिका / नासा छिद्र ,
मुख
ग्रसनी
स्वर यंत्र

नासा छिद्र (Nostril)

नाक में स्थित दो छिद्र जो नाक मार्ग और फेफड़ों में हवा के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करते हैं!
ये फेफड़ों तक पहुंचने से पहले हवा को छानने और गर्म करने का काम करते हैं
नासा छिद्र गंध और गंध का पता लगाने के लिए भी जिम्मेदार हैं !

ग्रसनी (Pharynx)

ग्रसनी एक ट्यूब जैसी संरचना है जो मुंह के पीछे स्थित होती है !
यह नासिका गुहा के पृष्ठ भाग से आहारनली के ऊपरी भाग तक फैली होती है !
ग्रसनी, भोजन और हवा के संचलन के लिए जिम्मेदार होती है!

ग्रसनी को तीन भागों में बांटा गया है जो निम्न हैं –
1. नासा ग्रसनी (Nasopharynx)
2. मुख ग्रसनी (Oropharynx)
3. कंठ ग्रसनी (laryngopharynx)

स्वर तंत्र

इसे Voice Box के रूप में भी जाना जाता है !
यह कंठ ग्रसनी एवं श्वासनली को जोड़ने का कार्य करता है !
यह ध्वनि उत्पन्न करने और श्वास को नियंत्रित करने का कार्य करता  है !
स्वर यंत्र श्वासनली के लिए एक सुरक्षात्मक तंत्र के रूप में भी कार्य करता है जो भोजन और अन्य कणों को फेफड़ों में प्रवेश करने से रोकता है !

2. निचला श्वसन तंत्र

निचले श्वसन तंत्र के अंतर्गत आने वाले श्वसन अंग निम्नलिखित हैं –
श्वासनली
श्वसनी
श्वसनिका
कूपिका
फेफड़े

श्वासनली

श्वासनली को विंड पाइप या वायु नाल भी कहा जाता है !
यह एक नली जैसी संरचना होती है जो यह गर्दन में स्थित होती है
श्वासनली मुंह और नाक से आने वाली हवा को फेफड़ों तक पहुंचाती है
यह वयस्कों में लगभग 10-12 सेंटीमीटर लंबी होती है।
श्वासनली स्वर यंत्र को श्वसनी से जोड़ने का कार्य करती है !
श्वासनली, वक्ष गुहा (Chest Cavity) में पहुंचकर दाहिने एवं बाएं दो भागों में विभाजित होकर फेफड़ों में मिल जाती है ! विभाजित होने के बाद ये नली प्राथमिक श्वसनी के रूप में जानी जाती है !

श्वसनी (Bronchi)

श्वसनी, श्वासनली से विभाजित होकर बनने वाले दो मुख्य वायु मार्ग हैं जो फेफड़ों में हवा पहुंचाने के लिए छोटी नलियों के रूप में रहती हैं
ये सिलिया और बलगम स्रावित करने वाली ग्रंथियों से आच्छादित होते हैं जो हानिकारक कणों को छानने और वायुमार्ग को नम रखने में मदद करते हैं

श्वसनिका (Bronchiole)

प्राथमिक श्वसनी फेफड़ों में जाकर आगे द्वितीयक श्वसनी (छोटी शाखा) में बदल जाती हैं !
प्रत्येक खंड में द्वितीयक श्वसनी आगे तृतीयक खंड में बंट जाती है जो बहुत ही छोटी-छोटी श्वसनिका में बदल जाती हैं !
ये श्वसनिका पूरे फेफड़ों में वृक्ष की शखाओं की तरह फैले रहती है !
श्वसनिका के अंतिम छोर पर कूपिकाएं (Alveoli) पाए जाते हैं !

कूपिकाएं (Alveoli)

गैसों का विनिमय (आदान-प्रदान) इन कूपिकाओं के माध्यम से ही होता है !
फेफड़ों में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के आदान-प्रदान के लिए कूपिकाओं का अहम रोल हैं
कूपिकाएं सांस लेने और शरीर में ऑक्सीजन के उचित स्तर को बनाए रखती हैं !
कूपिकाओं के माध्यम से ही शरीर को जीवित रखने लिए आवश्यक ऑक्सीजन प्राप्त करना संभव हो पाता है।

फेफड़े (Lungs)

फेफड़े, मानव शरीर में श्वसन प्रणाली के प्राथमिक अंग हैं !
फेफड़े स्तनधारी, पक्षी और सरीसृप में पाए जाते हैं।
फेफड़े थैली जैसी संरचना हैं जो हवा से भरी होती हैं !
ये एक जोड़े के रूप में शरीर के वक्ष स्थल के दायें एवं बाएं भाग में स्थित होते हैं
फेफड़ों का मुख्य कार्य हवा और रक्त के बीच गैसों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना है।
गैस विनिमय के अलावा फेफड़े रक्त के अम्ल-क्षार संतुलन को विनियमित करते हैं !
सांस द्वारा आने वाली हवा से कणों को छानने का कार्य भी फेफड़े करते हैं ।

3. श्वसन मांसपेशियाँ

श्वसन मांसपेशियाँ के अंतर्गत आने वाले अंग निमलिखित हैं –
डायफ्राम (मध्यपट),
अंतरापर्शुक पेशियाँ

डायाफ्राम (मध्यपट)

डायाफ्राम एक मांसपेशी है जो छाती को पेट से अलग करता है
यह वक्ष स्थल की सतह पर स्थित होता है !
फेफड़ों में हवा की मात्रा को नियंत्रित करने, संकुचन और शिथिलन करने का कार्य डायफ्राम का ही है।
साँस लेने के दौरान डायाफ्राम सिकुड़ता है जिससे वक्ष का आयतन बढ़ जाता है, एक दबाव से फेफड़ों से हवा खींचता है।
जब हम श्वास को छोड़ते हैं तो डायाफ्राम आराम की स्थिति में होता है उस समय फेफड़े हवा को बाहर निकालते हैं।

अंतरापर्शुक (Intercostal Muscles)

ये पसलियों के बीच की मांशपेशियोँ का समूह है जो वक्ष स्थल में स्थित होती हैं !
ये डायाफ्राम के संकुचन एवं शिथिलन (हवा को ग्रहण करना एवं छोड़ना) में सहायता करती हैं

निश्वसन प्रक्रिया (Inspiration)

फेफड़ों में में हवा को लेना या ग्रहण करना इस प्रक्रिया में शामिल है !
निश्वसन के दौरान डायाफ्राम की मांसपेशी सिकुड़ती है और वक्ष गुहा में विस्तार होता है जिससे एक दबाव बनता और फेफड़ों से हवा को खींचा जाता है ! उसी समय पसलियों के बीच की Intercostal Muscles वक्ष गुहा के आकार को बढ़ाने में मदद करती हैं और अधिक हवा को अंदर खींचने की अनुमति देती हैं!
यह हवा श्वासनली और श्वसनी में जाती है जहां यह छोटी शाखाओं (एल्वियोलीमें) में विभाजित होती है !
कूपिकाओं के माध्यम से रक्त प्रवाह के बीच गैस का आदान-प्रदान होता है जिसमें ऑक्सीजन को अंदर लेने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने की यह पूरी प्रक्रिया निश्वसन प्रक्रिया कहलाती है !

नि: श्वसन प्रक्रिया (Expiration)

यह फेफड़ों से सांस या हवा निकालने की प्रक्रिया है।
नि: श्वसन के दौरान डायाफ्राम की मांसपेशी एवं पसलियाँ आराम करती है और अपनी मूल स्थिति में लौट आती है इससे वक्ष गुहा का आकार कम हो जाता है और फेफड़ों के भीतर दबाव बढ़ जाता है और कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस हवा में मिकलर बाहर निकल जाती है! यह नि: श्वसन प्रक्रिया कहलाती है !

General Science Mock Test

मैं सुनील सुथार ! मेरी वेबसाइट पर आप सभी का स्वागत है ! इस प्लेटफॉर्म से आपको सामान्य विज्ञान (Biology, Physics, Chemistry & Botany) से संबंधित टॉपिक वाइज स्टडी मैटीरियल प्राप्त होगा जो सभी प्रकार के Competition Exams लिए उपयोगी रहेगा !

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