What is tissue types of tissue | उत्तक क्या है उत्तक के प्रकार

What is tissue types of tissue | उत्तक क्या है उत्तक के प्रकार

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What is tissue Types of tissue

 

What is tissue types of tissue – उत्तक क्या है, उत्तक के प्रकार ! उत्तक किसे कहते हैं ! class 9 science chapter 6 tissues ! इस पोस्ट में उत्तक के बारे में बहुत ही सरल तरीके से Complete जानकारी दी गई है ! पादप एवं जन्तु उत्तक के बारे में, उनके प्रकार, विस्तृत रूप से इसमें बताया गया है ! आप एक बार इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़ें ! ताकि आपको इसका फायदा मिल सके !

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What is tissue types of tissue | उत्तक क्या है उत्तक के प्रकार

उत्तक किसे कहते हैं

बहुकोशिकाओं में श्रम विभाजन पाया जाता है अर्थात इनमें कोशिकाएं अपना अलग अलग समूह बनाकर अलग अलग काम करती हैं !
वे कोशिकाएं जो आकृति में एक समान होती है तथा समूह बनाकर किसी कार्य को एक साथ सम्पन्न करती हैं, उत्तक कहलाती है !
पौधे और जन्तु भिन्न भिन्न उत्तकों से बने होते हैं पौधों में सरल उत्तक पाए जाते हैं एवं जंतुओं में जटिल उत्तक पाए जाते हैं

पादप उत्तक के प्रकार

पादपों में दो प्रकार के उत्तक पाए जाते हैं जो निम्न हैं –

1. विभज्योत्तक (Meristematic Tissue)
2. स्थायी उत्तक (Permanent tissue)

1. विभज्योत्तक

ऐसे उत्तक जिनमें विभाजन की क्षमता पाई जाती है, जो निरंतर विभाजित होते रहते हैं वे विभज्योत्तक कहलाते हैं
विभज्योत्तक की कोशिकाएं अत्यधिक क्रियाशील होती हैं
इनके पास अधिक कोशिका द्रव्य होता एवं पतली कोशिका भित्ति होती हैं
इनका मुख्य कार्य पौधों में वृद्धि का है

विभज्योत्तक तीन प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं –

1. शीर्षस्थ विभज्योत्तक (Apical Meristematic Tissue)
2. पार्श्व विभज्योत्तक (Lateral Tissue)
3. अंतर्विष्ट विभज्योत्तक (Intercalary Meristematic Tissue)

पदार्थों की अवस्थाएं

1. शीर्षस्थ विभज्योत्तक

प्ररोह (तना) एवं मूल (जड़) के शीर्षस्थ विभज्योत्तक जड़ों एवं तनों की वृद्धि वाले भाग में पाए जाते हैं
ये तने एवं जड़ों की लंबाई में वृद्धि का कार्य करते हैं !

2. पार्श्व विभज्योत्तक

ये तने या मूल की परिधीय (मोटाई) में वृद्धि का कार्य करता है

3. अंतर्विष्ट विभज्योत्तक

ये पौधों में पर्वसंधियों (Node) के पास पाए जाते हैं !
तने में जहां से पत्तियां निकलती हैं वो पर्वसंधि होती है !
ये पर्व की लंबाई को बढ़ाते हैं !

2. स्थायी उत्तक

विभज्योत्तकी उत्तकों से विभाजन से बनी कोशिकाएं स्थायी उत्तक में बदल जाती हैं और इसी के साथ इनकी विभाजन क्षमता भी नष्ट हो जाती हैं अर्थात स्थायी उत्तकों का निर्माण विभज्योत्तक से ही होता है !

स्थायी उत्तक तीन प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं –

1. साधारण उत्तक (Simple Tissue)
2. जटिल उत्तक (Complex Tissue)
3. विशिष्ट उत्तक (Special Tissue)

1. साधारण उत्तक

ये उत्तक एक ही प्रकार की कोशिकाओं के बने होते हैं !
साधारण उत्तक तीन प्रकार के होते हैं –

1. मृदूतक (Parenchyma Tissue)
2. स्थूलकोण उत्तक (Collenchyma Tissue)
3. दृढ़ उत्तक (Sclerenchyma Tissue)

1. मृदूतक

इनकी कोशिकाएं प्राय: समान व्यास की होती है !
इनमें एक कोशिका से दूसरी कोशिका के बीच का अवकाश (जगह) कम अथवा अनुपस्थित होता है !
ये कोशिकाएं उपापचयी रूप से सक्रिय होती है !
इनका मुख्य कार्य संचयन (Storage) का है !

मृदूतक कई प्रकार के होते हैं जैसे –

दीर्घ मृदूतक
हरित मृदूतक
खंभ मृदूतक
स्पंजी मृदूतक
वायु मृदूतक

2. स्थूलकोण उत्तक 

इनकी कोशिकाएं जीवित एवं पतली भित्ति की होती है !
इनमें अंतरकोशिकीय स्थान अनुपस्थित होता है !
ये मृदूतक की तुलना में लम्बी, इनके सिरे गोल या नुकीले तथा आकार में गोल या बहुभुजीय होती हैं !
इन कोशिकाओं के कोनों पर पर कोशिका भित्ति के ऊपर पेक्टीन युक्त सेलुलोज का जमाव होने से कोनों पर मोटी एवं दृढ़ होती हैं !
ये पौधे को यांत्रिक सहारा प्रदान करता है

विद्धुत धारा महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

3. दृढ़ उत्तक 

इनकी कोशिकाएं मृत होती हैं !
इनकी कोशिका भित्ति में लिग्निन भरा होता है !
ये उत्तक पत्तों की शिराओं में, बीजों और फलों के कठोर छिलकों में उपस्थित होता है !
ये भी पौधे को यांत्रिक सहायता प्रदान करता है जिसके फलस्वरूप पौधे, दाब, खिंचाव, दबाव आदि को सहने की क्षमता रखते है !

2. जटिल उत्तक

ये उत्तक एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं ये सभी मिलकर एक इकाई की तरह कार्य करते हैं
ये दो परकर के होते हैं जो निम्न हैं –

1. जाइलम 

ये पौधों में जल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का कार्य करते हैं !
जाइलम में अनेक प्रकार की कोशिकाएं पाई जाती हैं जैसे – जाइलम ट्रैकीड, वाहिका, जाइलम पैरैंकाइमा, जाइलम फाइबर !
इनमें से जाइलम पैरैंकाइमा जीवित कोशिका है !
ट्रैकीड एवं वाहिका की कोशिका भित्ति मोती होती है !
इनकी संरचना नलिकाकार होती है !
ये पानी एवं खनिज लवण का संवहन करती हैं !
जाइलम पैरैंकाइमा भोजन का संग्रह करता है !
जाइलम फाइबर, पौधों को सहारा देने का कार्य करता है !

2. फ्लोएम 

ये पौधों में खाद्य पदार्थों अर्थात भोजन को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का कार्य करते हैं !
ये पाँच प्रकार अवयवों से मिलकर बना होता है – चालनी कोशिकाएं (Sieve Cells), चालनी नलिकाएं (Sieve Tubes), साथी कोशिकाएं, फ्लोएम पैरैंकाइमा एवं फ्लोएम रेशा !
चालनी नलिका, छिद्र युक्त भित्ति वाली एवं नलिकाकार कोशिका होती हैं !
फ्लोएम पत्तियों से भोजन को लेकर पौधे के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है !
फ्लोएम रेशे मृत कोशिकाएं होती हैं अन्य सभी फ्लोएम कोशिकाएं जीवित कोशिकाएं होती हैं !

जाइलम एवं फ्लोएम दोनों को संयुक्त रूप से संवहन उत्तक भी कहा जाता है !
ये दोनों मिलकर संवहन बंडल का निर्माण करते हैं
फर्नीचर युक्त लकड़ी का निर्माण भी जाइलम करता है !

3. विशिष्ट उत्तक

ये कोशिकाएं स्रावण का कार्य करती हैं !
विशिष्ट उत्तक तीन प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं –

1. स्रावी कोशिकाएं
2. ग्रंथिल उत्तक
3. लैटेक्सधर उत्तक

जन्तु उत्तक

जन्तु शरीर में मुख्य रूप से चार प्रकार के उत्तक पाए जाते हैं –

1. उपकला उत्तक (Epithelium Tissue)
2. संयोजी उत्तक (Connective Tissue)
3. पेशीय उत्तक (Muscular Tissue)
4. तांत्रिक उत्तक (Nerve Tissue)

1. उपकला उत्तक

जन्तु शरीर को ढकने या बाह्य रक्षा प्रदान करने वाले उत्तक को उपकला उत्तक कहा जाता है !
ये शरीर के अंदर बहुत से अंगों और गुहाओं को ढकते हैं !
इनमें कोशिकाएं एक दूसरे से चिपकी हुई (बीच बहुत कम स्थान) रहती है और ये एक लगातार परत का निर्माण करती हैं !
ये शरीर के विभिन्न अंगों को एक दूसरे से अलग करने का काम करते हैं !
त्वचा, आहारनली, रक्त वाहिनी, फेफड़ों की कूपिका ये सभी उपकला उत्तक के उदाहरण हैं !

उपकला उत्तक तीन प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं –

1. सरल शल्की उपकला (Simple Squamous Epithelium)
2. घनाकार उपकला (Cubic Epithelium)
3. स्तंभाकार उपकला (Columnar Epithelium)

1. सरल शल्की उपकला

इस उपकला की कोशिकाएं चौड़ी परंतु अत्यधिक चपटी होती हैं ! उदाहरण – कूपिका, त्वचा !
वे कोशिकाएं जो कटने-फटने से बचाने के लिए कई स्तरों में व्यवस्थित होती हैं वो स्तरित शल्की उपकला कहलाती हैं !

2. घनाकार उपकला

इसमें कोशिकाओं का आकार घनाकार होता है !
ये कोशिकाएं वर्टिकल काट में घनाकार दिखाई देती हैं !
उदाहरण – आँत के भीतरी स्तर में, लार ग्रन्थि की नली का अस्तर !

3. स्तंभाकार उपकला

इस प्रकार की कोशिकाएं चौड़ाई में कम परंतु लंबी अधिक होती है !
इन कोशिकाओं के आधार में अंडाकार केन्द्रक होता है – उदाहरण – श्वासनली में

2. संयोजी उत्तक

संयोजी उत्तक की कोशिकाएं आपस में सटी हुई या चिपकी हुई नहीं रहती है
इनके बीच में एक द्रव पदार्थ पाया जाता है जिसे आधात्री (Matrix) कहा जाता है !
आधात्री जैली, तरल एवं सघन भी हो सकती हैं !
अधात्री की प्रकृति संयोजी उत्तक के कार्य के अनुसार बदलती रहती है ! उदाहरण –

1. रक्त

रक्त तरल (तरल आधात्री) प्रकृति का होता है जिसे प्लाज्मा कहा जात है !
प्लाज्मा के अंदर अनेक प्रकार की कोशिकाएं पाई जाती हैं जैसे – RBC (लाल रक्त कणिका), WBC (श्वेत रक्त कणिका), प्लेटलेट्स (बिम्बाणु) ! प्लाज्मा में हार्मोन, प्रोटीन होते हैं !
रक्त, पचे हुए भोजन, गैसों एवं हार्मोन का शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में संवहन का कार्य करता है !

2. अस्थि (Bone)

यह पंजर का निर्माण कर शरीर को आकार प्रदान करती है !
यह मांसपेशियों एवं शरीर के मुख्य अंगों को सहारा देती हैं !
यह उत्तक कठोर और मजबूत होता है अर्थात इनकी आधात्री कठोर होती है जो कैल्शियम तथा फॉस्फोरस से बनी होती है !

3. स्नायु (Ligament)

दो अस्थियाँ आपस में स्नायु (लिगामेंट) से जुड़ी होती हैं !
यह बहुत ही लचीला एवं मजबूत उत्तक होता है !
इसमें आधात्री बहुत कम पाई जाती है !
कण्डरा (Tendon), पेशियों को अस्थियों को जोड़ता है !

4. उपास्थि

उपास्थि भी एक प्रकार का संयोजी उत्तक है !
इसकी ठोस आधात्री प्रोटीन एवं शर्करा की बनी होती है !
यह अस्थियों के जोड़ों को चिकना बनाती है !
यह नाक, कान में उपस्थित होती है !

5. एरिऑलर संयोजी उत्तक

यह त्वचा एवं मांसपेशियों के बीच, रक्त नलिका के चारों ओर तथा नसों और अस्थि मज्जा में पाया जाता है !
यह उत्तकों की मरम्मत में सहायता करता है !
यह अंगों के बीच की खाली जगह को भरता है !

6. वसा उत्तक

वसा उत्तक त्वचा के नीचे आंतरिक अंगों के बीच पाया जाता है !
यह वसा का संग्रह करता है !

3. पेशीय उत्तक

पेशी उत्तक में कोशिकाएं लम्बी होती हैं !
इन्हें तन्तु भी कहा जाता है !
पेशी उत्तक में अंतरकोशिकीय पदार्थ बहुत कम पाया जाता है !
प्राणियों में विभिन्न प्रकार की गतियों के लिए यह उत्तरदायी होती है

कशेरुकियों में तीन प्रकार की पेशियाँ पाई जाती हैं –

1. रेखित पेशियाँ या कंकाली पेशियाँ – इन पेशियों को ऐच्छिक पेशियाँ भी कहा जाता है ! इन पेशियों को इच्छानुसार गति करा सकते हैं !
2. आरेखित या चिकनी पेशियाँ
3. हृदयी पेशियाँ

4. तंत्रिका उत्तक

तंत्रिका उत्तक की कोशिकाओं को तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन कहा जाता है !
इसमें लंबे, पतले बालों जैसी शाखाएं निकली होती है !
प्रत्येक न्यूरॉन में एक तंत्रिकाक्ष होता है जिसे एक्सॉन कहा जाता है !
बहुत सारे तंत्रिका रेशे संयोजी उत्तक के द्वारा एक साथ मिलकर एक तंत्रिका का निर्माण करते हैं !
तंत्रिका उत्तक संवेदनाओं को प्रकट करती हैं !
तंत्रिका उत्तक की कोशिकाएं उत्तेजना को बहुत ही शीघ्र पूरे शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाती है !

General Science Mcq

 

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