Respiration in Plants | पादपों में श्वसन
Respiration in Plants – पादपों में श्वसन ! कक्षा 11 Biology के टॉपिक पादप में श्वसन से संबंधित विस्तृत पोस्ट दी गई है ! ग्लाइकोलाइसिस, किण्वन, श्वसन क्या है … के बारे में बहुत ही सरल तरीके से पूरे टॉपिक को कवर किया गया है आप एक बार इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें ! पादप में श्वसन से संबंधित पूरी जानकारी इसमें मिलेगी !
श्वसन क्या है
श्वसन एक जैविक क्रिया है जिसमें भोज्य पदार्थों का शृंखला बद्ध ऑक्सीकरण होता है जिससे ऊर्जा मुक्त होती है ! अर्थात जटिल कर्बनिक पदार्थों (ग्लूकोज, शर्करा, वसा, प्रोटीन) को तोड़कर या ऑक्सीकरण से ऊर्जा की विमुक्ति ही श्वसन है !
श्वसन व ऊर्जा का संबंध
• हम जो भी दैनिक जीवन में काम करते हैं जैसे चलना, सोना, प्रजनन इन सभी के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है और ऊर्जा के लिए हमें श्वसन करना जरूरी है !
• सभी जीवित कोशिकाओं में होने वाली जैविक गतविधियों के लिए ऊर्जा की आवश्यक होती है जो श्वसन से प्राप्त होती है !
• श्वसन एक अपचयन (Catabolism) प्रक्रिया है
• यह ऊर्जा हमें ATP के रूप में प्राप्त होती है
• एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने के बाद 4 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है
• एक ग्राम वसा को तोड़ने पर 9 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है
• एक ग्राम प्रोटीन को तोड़ने पर 4 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है
• सबसे ज्यादा ऊर्जा वसा से प्राप्त होती है परंतु उससे बनने वाले अपशिष्ट पदार्थ ज्यादा होंगें इसलिए श्वसन अभिकारक के रूप में सर्वप्रथम कार्बोहाइड्रेट को उपयोग में लेते हैं जो ऑक्सीकरण में सबसे सरल श्वसनीय पदार्थ है !
श्वसन क्रिया व प्रकाश संश्लेषण में अंतर
क्र. | श्वसन क्रिया | प्रकाश संश्लेषण क्रिया |
1. | इसमें ऑक्सीजन अवशोषित होती है | इसमें ऑक्सीजन मुक्त होती है |
2. | यह क्रिया दिन-रात लगातार होती है | यह केवल प्रकाश की उपस्थिति में होती है |
3. | इसमें भोजन का ऑक्सीकरण होता है | इसमें भोजन का निर्माण होता है |
4. | इस क्रिया में रासायनिक ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है | इस क्रिया में प्रकाश ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है |
5. | इसके अन्तर्गत कच्चे पदार्थ O2 तथा ग्लूकोज होते हैं | इसके अन्तर्गत कच्चे पदार्थ CO2 तथा जल होते हैं |
6. | यह एक ऊष्माक्षेपी क्रिया है | यह एक ऊष्माशोषी क्रिया है |
7. | इसमें ग्लूकोज के एक अणु से 38 ATP प्राप्त होते हैं | इसमें ग्लूकोज के 1 अणु के संश्लेषण के लिए 18 ATP की आवश्यकता होती है |
श्वसन क्रियाधार (पदार्थ)
वे कार्बनिक पदार्थ जो जीवित कोशिकाओं में ऊर्जा को मुक्त करने के लिए अपचयित हो सकते हैं, श्वसन प्रक्रिया के दौरान काम में आने वाले (कच्चे पदार्थ) कार्बनिक पदार्थ (जैसे – ग्लूकोज, सुक्रोज, वसा एवं प्रोटीन) श्वसन क्रियाधार कहलाते हैं !
श्वसन गुणांक (Respiratory Quotient)
श्वसन क्रिया के दौरान निष्कासित (विमुक्त होने वाली) कार्बन डाई ऑक्साइड के अनुपात एवं अवशोषित (उपयोग की जाने वाली) ऑक्सीजन के अनुपात को श्वसन गुणांक कहा जाता है !
• श्वसन गुणांक से यह पता चलता है कि श्वसन क्रिया में किस प्रकार के भोज्य पदार्थ का ऑक्सीकरण हो रहा है !
• अलग-अलग प्रकार के भोज्य पदार्थों का श्वसन गुणांक भी भिन्न-भिन्न होता है
• श्वसन गुणांक (RQ) = निष्कासित CO2 का आयतन / अवशोषित O2 का आयतन
ऑक्सी श्वसन में RQ गुणांक
कार्बोहाइड्रेट्स – जब कार्बोहाइड्रेट्स श्वसन पदार्थ के रूप में प्रयुक्त होते हैं तो इनका RQ मान हमेशा 1 होता है !
कारण – कार्बोहाइड्रेट्स से निकली हुई कार्बन डाई ऑक्साइड का आयतन एवं उपयोग में ली गई ऑक्सीजन का आयतन बराबर होता है अर्थात जितनी CO2 निकली उतनी ही O2 उपयोग में ली गई !
• कार्बोहाइड्रेट का RQ गुणांक कुछ परिस्थितियों में बदल भी सकता है जैसे –
1. यदि कार्बोहाइड्रेट का ऑक्सीकरण पूर्ण रूप से नहीं हुआ हो !
2. कार्बोहाइड्रेट के ऑक्सीकरण के लिए ऑक्सीजन का पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध न होना
वसा – जब श्वसन क्रिया में वसा पदार्थ के रूप में प्रयुक्त होते हैं तो इनका RQ मान हमेशा 1 से कम (लगभग 0.7) होता है !
कारण – श्वसन में ली गई ऑक्सीजन वसीय पदार्थों का ऑक्सीकरण करके वसीय अम्लों का निर्माण करती है जिनके ऑक्सीकरण के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है ! इस प्रकार ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन ग्रहण की जाती है एवं कम मात्रा में CO2 निकलती है
प्रोटीन – जब श्वसन पदार्थ के रूप में प्रोटीन को उपयोग में लिया जाता है तब भी RQ का मान हमेशा 1 से कम (लगभग 0.7 – 09) होता है !
कारण – वसा की तरह ही प्रोटीन में भी पूर्ण ऑक्सीकरण के लिए अधिक मात्रा में ऑक्सीजन को ग्रहण किया जाता है एवं कम मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड निकलती है !
कार्बनिक अम्ल – जब कार्बनिक अम्ल श्वसन पदार्थ के रूप में उपयोग में लिए जाते हैं तो इनका RQ मान हमेशा 1 से अधिक (1.33) होता है !
कारण – कार्बनिक अम्ल के ऑक्सीकरण के लिए कम मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है ! ग्रहण की गई ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन डाई ऑक्साइड अधिक मात्रा में निकलती है !
मांसल पौधे – मांसल पौधे जैसे नागफनी, इनका RQ मान हमेशा 0 होता है !
कारण – इनमें कार्बोहाइड्रेट का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है एवं कार्बनिक अम्ल बनाते हैं इस प्रक्रिया में कार्बन डाई ऑक्साइड नहीं निकलती है !
अनॉक्सी श्वसन में RQ गुणांक
• अनॉक्सी श्वसन में ऑक्सीजन का उपयोग नहीं होता है इसमें कार्बन डाई ऑक्साइड निकलती है तो इस स्थिति में RQ का मान अनंत होता है ! उदाहरण – किण्वन
अंत: स्रावी ग्रंथियाँ एवं हार्मोन
श्वसन के प्रकार
ऑक्सीजन की उपस्थिति के आधार पर श्वसन को दो भागों में बाँटा गया हैं –
1. अनॉक्सी (अवायवीय) श्वसन – Aerobic
2. ऑक्सी (वायवीय) श्वसन – Anaerobic
अनॉक्सी श्वसन
• ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण अनॉक्सी श्वसन कहलाता है !
• यह श्वसन का प्रथम चरण है !
• इसमें ग्लूकोज के एक अणु से दो अणु पाइरुवेट का निर्माण होता है !
• इसमें ग्लूकोज अणु का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है जिससे कम मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है !
• इसके सामान्य उत्पाद कार्बन डाई ऑक्साइड, एथिल एल्कोहल एवं लैक्टिक अम्ल हैं !
• यह सम्पूर्ण प्रक्रिया केवल कोशिका द्रव्य में सम्पन्न होती है
• इसमें कुल 2 ATP अणुओं का लाभ होता है
ऑक्सी श्वसन
• ऑक्सीजन की उपस्थिति में भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण ऑक्सी श्वसन कहलाता है !
• इसमें ग्लूकोज का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है
• इसमें भोज्य पदार्थ ऑक्सीजन की सहायता से कार्बन डाई ऑक्साइड एवं जल में ऑक्सीकृत हो जाते हैं
• यह क्रिया माइट्रोकोन्ड्रिया एवं कोशिका द्रव्य दोनों में सम्पन्न होती है
• इसमें 38 ATP अणु का निर्माण होता है
क्या पादप सांस लेते हैं ?
पेड़ पौधे भी सजीव हैं, इनमें भी कोशिका पाई जाती है ! मानव की तरह पेड़ पौधे भी सांस लेते हैं परंतु इनकी श्वसन क्रीया एवं वृद्धि का हमें एहसास नहीं होता है ! ये प्रक्रिया बहुत ही धीमी गति से होती है ! पेड़ पौधे ऑक्सीजन को छोड़ते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड को ग्रहण करते हैं अर्थात यूं कहें कि मनुष्य के विपरीत इनकी श्वसन प्रक्रिया होती है !
• पादपों में श्वसन या गैसों के आदान-प्रदान में इनके तीन अंग शामिल हैं
• पत्तियां (इनमें रंध्र पाए जाते हैं), तना (इनमें वातरंध्र पाए जाते हैं) एवं जड़
कोशिकीय श्वसन
कोशिका के अन्दर हो रहे श्वसन को दो चरणों में बाँटा गया है जो निम्न है –
1. ग्लाइकोलाइसिस
2. क्रेब्स चक्र
1. ग्लाइकोलाइसिस
श्वसन की प्रक्रिया में ग्लूकोज का ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कोशिका द्रव्य के अन्दर पाइरुविक अम्ल में बदलना ग्लाइकोलाइसिस (ग्लूकोज का टूटना) कहलाता है
• तीन जर्मन वैज्ञानिकों (एम्बेडन, मेयरहॉफ एवं पारनास) ने मिलकर इसको खोजा था इसलिए इसे EMP पाथ भी कहा जाता है
• यह प्रक्रिया कोशिका द्रव्य में होती है
• ऑक्सी एवं अनॉक्सी दोनों प्रकार के श्वसनों में ग्लाइकोलाइसिस प्रथम चरण है
• ग्लाइकोलाइसिस में ऑक्सीजन की कोई आवश्यकता नहीं होती है
• इस क्रिया में ग्लूकोज का एक अणु पाइरुवेट के दो अणुओं में विघटित हो जाता है
• ग्लाइकोलाइसिस का अंतिम उत्पाद पाइरुवेट अम्ल है
• ग्लाइकोलाइसिस में शृंखलाबद्ध अभिक्रियाओं में विभिन्न एंजाइम के माध्यम से ग्लूकोज से पाइरुवेट का निर्माण कई चरणों के बाद होता है –
1. फॉस्फोरिलीकरण – ग्लूकोज, एंजाइम हैक्साकाइनेज एवं Mg2+ की उपस्थिति में ग्लूकोज-6-फॉस्फेट में परिवर्तित होता है जिसके लिए 1 ATP का उपयोग होता है !
2. समावयवीकरण – ग्लूकोज-6-फॉस्फेट, एंजाइम हैक्सोआइसोमरेज की उपस्थिति में अपने समावयवी फ्रक्टोज-6-फॉस्फेट में परिवर्तित हो जाता है
3. फॉस्फोरिलीकरण – फ्रक्टोज-6-फॉस्फेट, एंजाइम फ्रक्टोकाइनेज एवं Mg2+ की उपस्थिति में 1 ATP के जुडने से 1, 6-फॉस्फेट का निर्माण होता है
4. विदलन – फ्रक्टोज 1-6 फॉस्फेट, एल्डोलेज एंजाइम की उपस्थिति में तीन कार्बन युक्त यौगिकों 3-फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड(PGAL) और डाई हाइड्रॉक्सीएसीटोन 3-फॉस्फेट में बदल जाता है
3-फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड(PGAL) और डाई हाइड्रॉक्सीएसीटोन 3-फॉस्फेट दोनों आपस में समावयवी होते हैं इसीलिए डाई हाइड्रॉक्सीएसीटोन 3-फॉस्फेट तुरंत 3-फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड (PGAL) में बदल जाता है जिससे हमें 3-फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड के दो अणु प्राप्त होते हैं !
5. डिहाइड्रोजनीकरण – 3 -फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड, फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड डिहाइड्रोजिनेज एंजाइम की उपस्थिति में 1,3 फॉस्फो ग्लिसरीक अम्ल में बदल जाता है
6. प्रथम ATP उत्पादन – 1, 3- फॉस्फो ग्लिसरीक अम्ल, फॉस्फोकाइनेज एंजाइम की उपस्थिति में 3- फॉस्फो ग्लिसरीक अम्ल में बदल जाता है जिससे 1 ATP का निर्माण होता है
7. समावयवीकरण – 3-फॉस्फो ग्लिसरीक अम्ल, फॉस्फोग्लिसरोम्यूटेज एंजाइम की उपस्थिति में 2-फॉस्फो ग्लिसरीक अम्ल में बदल जाता है
8. विजलीकरण – 2-फॉस्फो ग्लिसरीक अम्ल, इनोलेज एंजाइम की उपस्थिति में 2-फॉस्फोईनॉल पाइरुवेट में बदल जाता है
9. द्वितीय ATP का उत्पादन – 2-फॉस्फोईनॉल पाइरुवेट, पायरूवेट काइनेज एंजाइम की उपस्थिति में 3 कार्बन युक्त पाइरुविक अम्ल में बदल जाता है जिससे 1 ATP का निर्माण होता है
• ग्लाईकोलाइसिस प्रक्रिया के अन्तर्गत 2 ATP उपयोग में लिए जाते हैं एवं 4 ATP का उत्पादन होता है !
• डिहाइड्रोजनीकरण से हमें 2 NADH (निकेटिनोमाइड एडीनीन डाई न्यूक्लिऑटाइड ) प्राप्त हो रहे हैं
• 1 NADH को तोड़ने पर हमें 3 ATP मिलते हैं तो 2 NADH = 6 ATP
• ग्लाइकोलाइसिस प्रक्रिया में कुल 8 ATP का लाभ होता है !
CISF Previous Year General Science MCQ
पायरुविक अम्ल का वायवीय ऑक्सीकरण
• पायरुविक अम्ल का ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूर्ण ऑक्सीकरण होता है जिससे CO2 तथा H2O का निर्माण होता है
• यह प्रक्रिया माइट्रोकोन्ड्रिया में क्रेब्स चक्र एवं इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र (ETS) के द्वारा सम्पन होती है
• पायरुविक अम्ल से एसीटिल Co-A बनना ग्लाइकोलाइसिस एवं क्रेब्स चक्र के बीच का योजक चरण हैं
एसीटिल Co-A का निर्माण
पायरुविक अम्ल का निर्माण कोशिका द्रव्य में होता है जब यह माइट्रोकोन्ड्रिया में प्रवेश करता है तो NAD एवं सहएन्जाइम – A से संयुक्त हो जाता है इसके परिणाम स्वरूप ऑक्सीकीय विकार्बोक्सिलीकरण के कारण कार्बन डाई ऑक्साइड का एक अणु मुक्त होता है तथा NAD. 2H बनता है !
इस अभिक्रिया के अंत में एसीटिल सहएन्जाइम – A का निर्माण होता है !
• पायरुविक अम्ल के वायवीय ऑक्सीकरण में 2 NADH निकल रहे हैं (1 NADH = 3 ATP)
• इसमें ATP के अणुओं की संख्या = 2 x 3 = 6 ATP
• पाइरुविक अम्ल के ऑक्सीकरण से निर्मित एसीटिल अब क्रेब्स चक्र में प्रवेश कर जाता है
2. क्रेब्स चक्र
• वैज्ञानिक हैन्स क्रेब द्वारा इस चक्र की खोज की गई इसीलिए इसका नाम क्रेब्स चक्र पड़ा !
• इसे ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (TCA), सिट्रिक चक्र भी कहा जाता है !
• क्रेब्स चक्र, माइट्रोकोन्ड्रिया के मेट्रिक्स (अधात्री) में संपादित होता है !
क्रेब्स चक्र प्रक्रिया
• TCA चक्र की शुरुआत एसीटाइल समूह के ऑक्सेलो एसीटिक अम्ल (OAA) तथा जल के साथ संघनन से होती है और सिट्रिक अम्ल का निर्माण होता है
• यह क्रेब्स चक्र का प्रथम उत्पाद है !
• यह अभिक्रिया सिट्रेट सिन्थेटेज एंजाइम द्वारा होती है !
• इसमें CoA (कॉ एंजाइम) का एक अणु मुक्त होता है
• सिट्रेट अम्ल (6 C) से एक अस्थायी यौगिक आइसोसिट्रेट (6 C) का निर्माण होता है
• आइसोसिट्रेट आगे एल्फा कीटो ग्लूटेमिक अम्ल (5 C) में परिवर्तित हो जाता है
• आइसोसिट्रेट से एक कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकल जाती है
• एल्फा कीटो ग्लूटेमिक अम्ल आगे चलकर सक्सिनाइल अम्ल में बदल जाता है
• एल्फा कीटो ग्लूटेमिक अम्ल से भी एक कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकल जाती है
नोट :– जहां–जहां कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलेगी NADH भी साथ में निकलेगा
• सक्सिनाइल अम्ल (4 C) आगे चलकर सक्सिनिक अम्ल में बदल जाता है
• सक्सिनाइल अम्ल व सक्सिनिक अम्ल के बीच में से GDP – GTP बाहर निकलेगा
नोट :– GTP सीधे ATP देता है इसे ETS में भेजने की जरूरत नहीं होती है
• सक्सिनिक अम्ल आगे चलकर फ्यूमेरिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है इसके दौरान एक FAD से FADH बाहर निकलगा
• फ्यूमेरिक अम्ल से मैलिक अम्ल (4 C) का निर्माण होता है
• मैलिक अम्ल से वापस OAA (ऑक्सेलो एसीटिक अम्ल) बन जाता है इसके दौरान एक NAD से NADH बाहर निकलेगा
• इसी तरह ये TCA चक्र दो बार चलेगा !
TCA चक्र में ATP की गणना
• एक TCA चक्र में 3 NADH बाहर निकले तो 2 TCA चक्र में = 3 x 2 = 6 NADH
• एक TCA चक्र में 1 FADH बाहर निकला तो 2 TCA चक्र में = 1 x 2 = 2 FADH
• एक TCA चक्र में 1 GTP बाहर निकला तो 2 TCA चक्र में = 1 x 2 = 2 GTP
• 1 NADH में ATP के 3 अणु प्राप्त होते हैं तो 6 NADH में = 6 x 3 = 18 ATP
• 1 FADH में ATP के 2 अणु प्राप्त होते हैं तो 2 FADH में = 2 x 2 = 4 ATP
• 1 GTP में ATP का 1 अणु प्राप्त होता है तो 2 GTP में = 1 x 2 = 2 ATP
• TCA चक्र के दौरान कुल 24 ATP प्राप्त होते हैं !
• TCA के एक चक्र में 12 ATP प्राप्त होते हैं
• ऑक्सी श्वसन के दौरान प्राप्त कुल ATP = 8 + 6 + 24 = 38 ATP
इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र (ETS)
यह एक उपापचयी पथ है जिसके द्वारा इलेक्ट्रॉन एक वाहक से अन्य वाहक की ओर गुजरता है यही प्रक्रिया इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र कहलाती है अर्थात इसमें NADH से निकला हुआ इलेक्ट्रॉन अनेक वाहकों द्वारा होता हुआ ऑक्सीजन तक पहुंचता है इसलिए इसे ETS कहा जाता है
• इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉन का ग्राही ऑक्सीजन होता है तथा इसमें ATP बनती है इसलिए ये ऑक्सीडेटिव फ़ॉस्फोरिलेशन भी कहलाता है
• ग्लाईकोलाइसिस एवं क्रेब्स चक्र के दौरान NADH एवं FADH अणुओं का निर्माण हुआ था इन्हीं अणुओं में संग्रहित ऊर्जा को मुक्त करने के लिए इन्हें वापस ऑक्सीकृत करने की आवश्यकता होती है और ये सब प्रक्रिया ETS के माध्यम से ही संभव है !
• ETS में पांच प्रकार के वाहक काम करते हैं जो कॉम्प्लेक्स 1 – कॉम्प्लेक्स 5 तक हैं
• इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र की प्रक्रिया माइट्रोकोंड्रिया की आंतरिक झिल्ली (माइट्रोकोंड्रिया की क्रिस्ट्री के अंदर) में होती है
• इस प्रक्रिया के दौरान NADH व FADH से इलेक्ट्रॉन का परिवहन करके अंत में ATP का निर्माण होता है
• इस प्रक्रिया के अंत में पानी (H2O) बनेगा
• इस पूरी प्रक्रिया के अंत में इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन को प्राप्त होता है
ETS कॉम्प्लेक्स 1 – 5
• NADH टूटने के बाद NADH + H + में बदल जाता है और इलेक्ट्रॉन बाहर निकलता है यह इलेक्ट्रॉन कॉम्प्लेक्स 1 के FMN को स्थानांतरित हो जाता है !
• FMN इसी इलेक्ट्रॉन को आगे इसी कॉम्प्लेक्स के Fes को ट्रांसफर कर देता है
• Fes इस इलेक्ट्रॉन को आगे UQ को ट्रांसफर कर देता है
• UQ यहां पर हाइड्रोजन को ग्रहण कर लेता है एवं UQH2 बन जाता है
• UQH2 इस इलेक्ट्रॉन को कॉम्प्लेक्स 3 के Cyt B को ट्रांसफर कर देता है
• Cyt B, Fes को Fes, Cyt C,1 को इलेक्ट्रॉन ( ये तीनों कॉम्प्लेक्स 3 के ही हिस्से हैं) ट्रांसफर कर देता है !
• Cyt C जो एक प्रकार का वाहक प्रोटीन है वो Cyt C,1 से इलेक्ट्रॉन को लेकर Complex 4 के Cyt A, 1 को ट्रांसफर कर देता है
• Cyt A, 1 इसी कॉम्प्लेक्स के Cyt A, 3 को ट्रांसफर करता है एवं यहां पर नीचे की और ऑक्सीजन इस इलेक्ट्रॉन को ग्रहण कर लेता है और पानी बना लेता है !
• यहां पर NADH की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है
• FADH टूटने के बाद FADH + H + बनेगा और इलेक्ट्रॉन बाहर निकलेगा
• यह इलेक्ट्रॉन कॉम्प्लेक्स 2 से प्रवेश करेगा जो कॉम्प्लेक्स 2 के UQ को स्थांतरित होगा और फिर ये इलेक्ट्रॉन आगे उसी प्रक्रिया से ऑक्सीजन को प्राप्त हो जाएगा !
• ETS प्रक्रिया में हाइड्रोजन निकलकर माइट्रोकोंड्रिया के बाहरी झिल्ली एवं आंतरिक झिल्ली के बीच खाली जगह में चले जाते हैं और यहां से ये सभी हाइड्रोजन कॉम्प्लेक्स 5 से होकर गुजरते हैं
• जब इलेक्ट्रॉन, ETS के माध्यम से एक वाहक से दूसरे वाहक तक कॉम्प्लेक्स 1 से कॉम्प्लेक्स 5 तक गुजरते है तब वे ATP सिंथेटेज (जो कॉम्प्लेक्स 5 में मौजूद होता है) से युगमित्र होकर ADP से ATP का निर्माण करते है !
किण्वन (Fermentation)
किण्वन सूक्ष्म जीवों जैसे बैक्टीरिया, कवक द्वारा सक्रिय भाग लेने से होने वाला एक प्रकार का अवायवीय (अनॉक्सी) श्वसन है जिसमें कार्बनिक यौगिक बैक्टीरिया व अन्य सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति में सरल पदार्थों में टूट जाते हैं !
अर्थात सूक्ष्म जीवों द्वारा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भोज्य पदार्थों को विघटित करने और ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया को किण्वन कहा जाता है
• यह एक जैव रासायनिक प्रक्रिया है !
• किण्वन से 2 ATP ऊर्जा का निर्माण होता है
• किण्वन में एल्कोहल व कार्बन डाइऑक्साइड की उत्पत्ति कोशिकाओं के बाहर होती है
यीस्ट में किण्वन
• यीस्ट किण्वन को एल्कोहॉलिक किण्वन भी कहा जाता है
• यीस्ट एक कवक है !
• सारे कवक बहुकोशिकीय होते हैं परंतु यीस्ट एक ऐसा कवक है जो एक कोशिकीय होता है
• यीस्ट एक ऐसा कवक है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में किण्वन की प्रक्रिया करता है
किण्वन के मुख्य प्रकार
लैक्टिक एसिड किण्वन – लैक्टो बेसिलस बैक्टीरिया दूध में उपस्थित लैक्टोज (कार्बोहाइड्रेट) को लैक्टिक अम्ल में बदल देता है !
• अत्यधिक थकान की वजह से मानव शरीर की मासपेशियों में दर्द होने का कारण भी लैक्टिक अम्ल है
• पायरुविक अम्ल को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण यह लैक्टिक अम्ल बना लेता है !
• लैक्टिक अम्ल को बनाने में भी NADH, NAD में बदल जाता है !
ब्यूटेरिक एसिड किण्वन – इस प्रकार का किण्वन मक्खन में पाया जाता है जिससे मक्खन खट्टा हो जाता है !
• कारक बैक्टीरिया – क्लोस्ट्रीडियम ब्यूटेरिकस एवं बेसिलस ब्यूटेरिकस
एसीटिक एसिड किण्वन – सिरका का निर्माण भी किण्वन की वजह से ही होता है
• कारक बैक्टीरिया – एसीटो बेक्टर
Full Forms
1. | NAD | Nicotinamide Adenine Dinucleotide |
2. | FAD | Flavin Adenine Dinucleotide |
3. | GTP | Guanosine Triphosphate |
4. | GDP | Guanosine Diphosphate |
5. | ATP | Adenosine Triphosphate |
6. | UQ | Ubiquinone |
7. | OAA | Oxalo Acetic Acid |
8. | TCA | Tricarboxylic Acid |
9. | ETS | Electron Transport System |
10. | EMP | Embden Meyerhof Parnas |
11. | Cyt | Cytochrome |
12. | RQ | Respiratory Quotient |
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