Scientific Laws and Theories of Physics | भौतिकी के वैज्ञानिक सिद्धांत एवं नियम
Scientific Laws and Theories of Physics | वैज्ञानिक सिद्धांत एवं नियम ! दोस्तों इस पोस्ट में भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण 25 वैज्ञानिक सिद्धान्त (Scientific Law’s) एवं नियम के बारे में संक्षिप्त रूप से व प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से आसान शब्दों में परिभाषित किए गए हैं जिससे आप इन वैज्ञानिक नियमों व सिद्धान्त से संबन्धित अक्सर पूछे जाने वाले Questions को सही कर सकें !
ये जो नीचे दिये गए जितने भी भौतिक विज्ञान के वैज्ञानिक नियम हैं वो सर्वाधिक महत्वपूर्ण व प्रतियोगी परीक्षाओं में बार बार इनसे संबन्धित सीधे प्रश्न पूछे जाते हैं !
आप एक बार इनको अवश्य पढ़ें ताकि आपको इसका फायदा मिल सके ! आशा करता हूँ ये पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगी !
Scientific Laws and Theories of Physics | भौतिकी के वैज्ञानिक सिद्धांत एवं नियम
इस पोस्ट में आप पढ़ेंगे …
• न्यूटन के गति के तीनों नियम
• न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम
• न्यूटन का शीतलन नियम
• हुक का नियम
• पास्कल का नियम
• प्वासो (पॉयसन अनुपात)
• आर्किमिडीज का सिद्धांत
• प्लवन का नियम
• बरनौली प्रमेय
• स्टॉक्स का नियम
• डॉप्लर प्रभाव
• सीबेक प्रभाव
• स्टीफन का नियम
• किरचौफ के नियम
• जूल का नियम
• उष्मागतिकी के नियम
• रुद्धोष्म प्रक्रम
• जूल – थॉमसन प्रभाव
• कूलाम का नियम
• ओम का नियम
• बॉयल का नियम
• चार्ल्स का नियम
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न्यूटन के गति का प्रथम नियम
प्रत्येक पिंड तब तक अपनी विराम अवस्था या सरल रेखा में एक समान गति की अवस्था में रहता है जब तक कोई बाह्य बल कार्य नहीं करता ! इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है ! इस नियम से बल की परिभाषा हमें प्राप्त होती है !
न्यूटन के गति का दूसरा नियम
न्यूटन के गति का तीसरा नियम
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम
हुक का नियम
प्रत्यास्थता गुणांक का मान भिन्न-भिन्न वस्तुओं के लिए भिन्न-भिन्न होता है ! प्रत्यास्थता गुणांक का SI मात्रक न्यूटन प्रति मीटर स्क्वायर होता है जिसे पास्कल (Pa) कहा जाता है !
पास्कल का नियम
जब किसी चारों ओर से घिरे हुए द्रव पर दाब लगाया जाता है तो वह दाब बिना क्षय हुए संपूर्ण द्रव में सभी दिशाओं में समान रूप से संचारित होता है !
प्वासो (पॉयसन) अनुपात
किसी वस्तु पर प्रत्यास्थत सीमा के अंदर पार्श्व विकृति तथा अनुधैर्य विकृति के अनुपात को उस वस्तु के पदार्थ का प्वासो अनुपात कहा जाता है
आर्किमिडीज का सिद्धांत
जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूरी अथवा आंशिक रूप से डुबोई जाती है तो उसके भार में कमी प्रतीत होती है भार में यह कमी उस वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होती है ! आर्कीमिडीज ने उत्पलावन बल का भी अध्ययन किया था !
प्लवन का नियम
कोई भी वस्तु संतुलित अवस्था में तैरने पर वह वस्तु अपने भार के बराबर द्रव विस्थापित करती है ! जब कोई वस्तु किसी द्रव में डुबोई जाती है तो उस पर दो बल कार्य करते हैं –
1. वस्तु का भार नीचे की ओर
2. द्रव का उत्पलावन ऊपर की ओर
कोई वस्तु द्रव में डूबेगी या नहीं इसकी तीन अवस्थाएं होंगी –
1. जब वस्तु का भार उसके उत्प्लावन बल से अधिक हो तो इस अवस्था में वस्तु द्रव में डूब जाएगी !
2. जब वस्तु का भार उसके द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर हो तो इस स्थिति में वस्तु द्रव की सतह के ठीक नीचे तैरती है !
3. जब वस्तु का भार उस पर लगने वाले उत्प्लावन बल से कम हो तो इस स्थिति में वस्तु का कुछ भाग द्रव के ऊपर रहता है एवं वस्तु तैरती रहती है !
जब वस्तु का घनत्व द्रव के घनत्व से कम होगा तो वस्तु द्रव में तैरेगी !
बरनौली प्रमेय
स्टॉक्स का नियम
डॉप्लर प्रभाव
जब कोई ट्रेन प्लेटफॉर्म के नजदीक आती है तो उसकी सीटी की आवृत्ति बढ़ती जाती है और जैसे ही वो प्लेटफॉर्म से निकलती है तो सीटी की आवृति घटती जाती है
सीबेक प्रभाव
यह एक ताप वैधुत प्रभाव होता है ! दो भिन्न भिन्न धातुओं के तार लेकर उनको युग्म के रूप में जोड़ने के बाद जो संधि बनी थी उन संधियों को अलग अलग तापक्रम पर रखा गया जिससे तार से धारा का प्रवाह होने लगा जो तापीय विद्युत वाहक बल को उत्पन्न करता है यही सीबेक प्रभाव है
स्टीफन का नियम
इन्होंने विकिरण ऊर्जा के संबंध में नियम दिया था ! किसी भी पृष्ठ द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा ऊर्जा का मान परम शून्य ताप के चतुर्थ घात के गुणनफल के बराबर होता है !
न्यूटन का शीतलन नियम
जब किसी वस्तु के ताप एवं उसके चारों और के ताप में अंतर न हो तब वस्तु के शीतलन की दर वस्तु के मध्यमान ताप एवं उसके चारों और के ताप के अंतर के अनुक्रमानुपाती होती है ! ऊष्मा किसी वस्तु में उच्च ताप से निम्न ताप की ओर चलती है !
यदि किसी वस्तु का ताप वातावरण के ताप से अधिक होता है तो ऊष्मा ऊर्जा का वातावरण में उत्सर्जन होने लगता है जिससे वस्तु का ताप कम होने लगता है
किरचौफ के नियम
2. विभवांतर का नियम – (KVL) – इसे लूप नियम भी कहा जाता है ! किसी परिपथ के प्रत्येक लूप के विभिन्न खंडों में बहने वाली धाराओं तथा संगत प्रतिरोधों के गुणनफल का बीजगणितीय योग इस लूप में लगने वाले विद्युत वाहक बल के बीजगणितीय योग के बराबर होता है ! यह नियम ऊर्जा के संरक्षण पर आधारित है
जूल का नियम
जूल का प्रथम नियम – इस नियम के अनुसार किसी विद्युत चालक के अंदर उसमें उष्मीय ऊर्जा उत्पन्न होने की दर उस चालक के प्रतिरोध एवं उस में प्रवाहित धारा के वर्ग के गुणनफल के समानुपाती होती है !
जूल का द्वितीय नियम – इस नियम के अनुसार किसी आदर्श गैस की आंतरिक ऊर्जा का मान दाब व आयतन पर निर्भर नहीं करता है लेकिन इसके ताप का मान परिवर्तित कर दिया जाए तो आदर्श गैस की आंतरिक ऊर्जा का मान भी परिवर्तित हो सकता है !
जूल का तृतीय नियम – जब की चालक में बह रही विद्युत धारा एवं प्रतिरोध को स्थिर रखा जाए तो ऊष्मा उस समय के समानुपाती होती है अर्थात जितनी देर तक धारा प्रवाहित होगी उतना ही ज्यादा चालक गर्म होगा !
उष्मागतिकी का प्रथम नियम
किसी निकाय को दी गई ऊष्मा संपूर्ण रूप से कार्य में परिवर्तित नही होती है उसका कुछ भाग आंतरिक ऊर्जा वृद्धि में भी खर्च होता है एवं बाकी कार्य में बदल जाता है !
अर्थात निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा का मान निकाय की आंतरिक ऊर्जा में आई वृद्धि व निकाय द्वारा किए गए कार्य के योग के बराबर होती है !
उष्मागतिकी का द्वितीय नियम
1. केल्विन प्लांक का कथन – किसी ऐसे ऊष्मा इंजन का निर्माण असंभव है जो किसी निकाय के लिए किसी स्रोत से ऊष्मा अवशोषित कर संपूर्ण मात्रा को कार्य में रूपांतरित कर दे !
2. क्लासियस का कथन – ऐसी किसी भी मशीन का निर्माण असंभव है जो बाह्य कार्य किए बिना ठंडी वस्तु से ऊष्मा लेकर उसे गर्म वस्तु को लौटा दे ! ऊष्मा सदैव गर्म वस्तु से ठंडी वस्तु की ओर प्रवाहित होती है !
रुद्धोष्म प्रक्रम
जब किसी निकाय में इस प्रकार से परिवर्तन हो कि निकाय न तो अपने बाहर के वातावरण को ऊष्मा दे व ना ही वो वहां से ऊष्मा ग्रहण करे ! उदाहरण –
चाय से भरे थरमस को तेजी से हिलाने पर चाय का गर्म होना !
जूल-थॉमसन प्रभाव
यदि किसी द्रव या गैस को किसी वाल्व या सछिद्र प्लग से होकर गुजारा जाए और बाहर से इंसुलेट करके इसमें ऊष्मा का आदान–प्रदान नहीं होने दिया जाए तो उस तरल का ताप बदल जाता है जिसे उष्मागतिकी में जूल थॉमसन प्रभाव के नाम से जाना जाता है ! इसे केल्विन जूल प्रभाव भी कहा जाता है ! जूल थॉमसन एक प्रकार का रुद्धोष्म प्रक्रम है
कूलाम का नियम
ओम का नियम
बॉयल का नियम
यह आदर्श गैस के दाब और आयतन में संबंध बताता है इस नियम के अनुसार नियत ताप पर गैस का आयतन दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है !
चार्ल्स का नियम
यह एक गैसीय नियम है जो बताता है कि गर्म होने पर गैसों का विस्तार होता है ! इस नियम के अनुसार स्थिर दाब में गैस का आयतन सीधे गैस के पूर्ण तापमान के समानुपाती होता है !
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