Endocrine Glands and Hormones | अंत: स्रावी ग्रन्थियाँ एवं हार्मोन

 

Endocrine Glands and Hormones | अंत: स्रावी ग्रन्थियाँ एवं हार्मोन 

Endocrine-Glands-in-hindi
                                     Endocrine-Glands

Endocrine Glands and Hormones (अंत: स्रावी ग्रन्थियाँ एवं हार्मोन) से संबंधित विस्तृत पोस्ट ! अंत: स्रावी ग्रन्थि के कार्य ! अंत: स्रावी तंत्र ! मानव शरीर की सबसे बड़ी अंत: स्रावी ग्रन्थि ! मानव शरीर की सबसे छोटी ग्रन्थि ! अंत: स्रावी ग्रन्थियों के नाम ! अंत: स्रावी ग्रन्थियों से स्रावित हार्मोन !

 
 

भौतिक विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण MCQ देखें >>

Endocrine Glands and Hormones | अंत: स्रावी ग्रन्थियाँ एवं हार्मोन 

मनुष्य में ग्रंथियों के प्रकार 

1. बहि: स्रावी ग्रन्थि
2. अंत: स्रावी ग्रन्थि
3. मिश्रित ग्रन्थि
 

नोट – इस पोस्ट में आपको अंत: स्रावी ग्रन्थियाँ एवं हार्मोन के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी !

1. बहि: स्रावी ग्रन्थि 

⇨ ऐसी ग्रन्थियाँ जिनके द्वारा स्रावित स्राव को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाने के लिए वाहिनी या नलिका की आवश्यकता हो वो बहि: स्रावी ग्रन्थियाँ कहलाती हैं ! 
⇨ इन्हें नलिका युक्त ग्रन्थियाँ भी कहा जाता है ! 
⇨ इन ग्रन्थियों से जो स्राव स्रावित होता है उसे एंजाइम कहा जाता है ! 
⇨ प्रमुख बहि: स्रावी ग्रन्थियां निम्न हैं- 

लार ग्रन्थि, अश्रु ग्रन्थि, यकृत ग्रन्थि (सबसे बड़ी ग्रन्थि), स्तन ग्रन्थि, स्वेद ग्रन्थि !

 

एंजाइम क्या हैं – एंजाइम एक तरह का प्रोटीन, कार्बनिक पदार्थ या जैविक उत्प्रेरक हैं जो रासायनिक क्रियाओं को तेज या उत्प्रेरित करते हैं ! ये कोशिकाओं के अंदर पाए जाते हैं ! ये पाचन क्रिया में सहायक होते हैं 

2. अंत: स्रावी ग्रन्थि (Endocrine Glands)

⇨ अंतः स्रावी ग्रन्थियाँ नलिका विहीन होती है इन्हें नलिका विहीन ग्रन्थियाँ भी कहा जाता है !
⇨ अंत: स्रावी ग्रंथि से स्रावित स्राव को हार्मोन कहा जाता है !
⇨ इन ग्रन्थियों से स्रावित हार्मोन सीधे रक्त के माध्यम से शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचता है !
⇨ प्रमुख अंतः स्रावी ग्रन्थियाँ निम्न हैं –
पीयूष ग्रन्थि, थायरॉयड ग्रन्थि, पैरा थायरायड ग्रन्थि, अधिवृक्क ग्रन्थि, थाइमस ग्रन्थि, पिनियल ग्रन्थि !

हार्मोन क्या हैं – हार्मोन एक रासायनिक यौगिक है ! ये जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं जो जैव रासायानिक क्रियाओं, वृद्धि एवं विकास आदि का नियंत्रण करते हैं !
हार्मोन पहले से मौजूद हमारे भोजन में नहीं होता बल्कि इसे प्राकृतिक रूप से अंत:स्रावी ग्रन्थियों के द्वारा छोड़ा जाता है !

3. मिश्रित ग्रन्थि

मिश्रित ग्रंथि उसे कहते हैं जो बहि: स्रावी तथा अंतः स्रावी दोनों प्रकार से कार्य करती है ! जैसे – अग्नाशय ग्रन्थि ! ये बहि: स्रावी एवं अंत: स्रावी दोनों तरह से कार्य करती हैं !

अंत: स्रावी ग्रन्थियाँ एवं उनसे स्रावित हार्मोन 

1. पीयूष ग्रंथि (पिट्यूटरी ग्लैण्ड)

⇨ इसे मास्टर ग्रन्थि भी कहा जाता है 
⇨ पीयूष ग्रन्थि का भार लगभग 0.6 ग्राम होता है
⇨ ये ग्रन्थि अंत: स्रावी ग्रंथियों से स्रावित हार्मोन को नियंत्रित करती है

⇨ ये कपाल की स्फेनॉयड हड्डी में सेलाटर्सिका गड्ढे में स्थित होती है

पीयूष ग्रन्थि से स्रावित होने वाले हार्मोन 

सोमैटोट्रॉपिक हार्मोन – यह एक वृद्धि हार्मोन है ! यह हार्मोन मुख्य रूप हड्डियों की वृद्धि को नियंत्रित करता है ! इस हार्मोन की अधीकता से मनुष्य की लंबाई में असामान्य वृद्धि हो जाती है ! इस हार्मोन की कमी से मनुष्य की हाइट कम अर्थात बौनापन हो जाता है !
 
थायरॉइड प्रेरक हार्मोन यह हार्मोन थायरॉयड ग्रन्थि पर कार्य करके थायरॉयड हार्मोन के संश्लेषण एवं स्राव को प्रेरित करता है 
 
एडीनोकॉर्टिकोट्रॉपिक हार्मोन – यह हार्मोन अधिवृक्क (एड्रीनल ग्रन्थि) के कॉर्टेक्स को प्रभावित कर उससे निकलने वाले हार्मोन को भी प्रेरित करता है !
 
गोनेडोट्रॉपिक हार्मोन – ये लिंगी हार्मोन को उत्पादित करता है ! ये हार्मोन जनन ग्रन्थियों की क्रियाशीलता को प्रभावित करता है ! इसके दो प्रकार हैं – 1. फॉलिकल उत्तेजन हार्मोन 2. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन 
 
प्रोलैक्टीन हार्मोन – यह एक दूध जनक हार्मोन है ! इस हार्मोन का कार्य शिशु के लिए स्तनों से दूध का स्राव करना है !
 
मेलानोसाइट्स हार्मोन – यह मेलानिन युक्त कोशिकाओं पर कार्य करता है ! यह हार्मोन त्वचा के रंग को प्रभावित करता है ! रंगीन त्वचा का कारण यही हार्मोन है !
 
एंटीडाइयूरेटिक हार्मोन – यह हार्मोन मूत्र में जल संरक्षण की क्षमता को बनाए रखता है अर्थात यह शरीर के जल संतुलन में सहायक हार्मोन है !
 
ऑक्सीटोसिन हार्मोन – यह हार्मोन मादाओं में प्रसव के दौरान गर्भाशय की पेशियों में सिकुड़न पैदा करता है एवं दूध ग्रन्थियों से दूध के स्राव को प्रेरित करता है !
 

2. हाइपोथैलमस ग्रन्थि

⇨ यह ग्रन्थि अग्रमस्तिष्क में पाई जाती है जो थैलमस के नीचे स्थित है एवं पिट्यूटरी ग्रन्थि के ऊपर स्थित है ! 
⇨ यह ग्रन्थि पीयूष ग्रन्थि से स्रावित हार्मोन को नियंत्रित करती है !
⇨ हाइपोथैलेमस, पीयूष ग्रन्थि के माध्यम से अंत: स्रावी तंत्र एवं तांत्रिक तंत्र के बीच संबंध बनाता है

हाइपोथैलमस ग्रन्थि के कार्य

⇨ शरीर के तापमान को बनाए रखती है 
⇨ दैनिक गतिविधियों को नियंत्रित करती है
⇨ शरीर के तरल पदार्थ को संतुलित रखने का कार्य करती है
⇨ हृदय गति को नियंत्रित रखने का कार्य करती है
⇨ भूख, रक्तचाप को नियंत्रित रखती है

⇨ भावना, सपना, एवं नींद का नियंत्रण करती है

3. थायरॉयड ग्रन्थि (अवटु ग्रन्थि)  

⇨ यह ग्रंथि श्वास नली या ट्रैकिया के दोनों तरफ लैरिन्क्स के नीचे स्थित रहती है !
⇨ यह संयोजी उत्तक की पतली अनुप्रस्थ पट्टी से जुड़ी रहती है जिसे इस्थमस कहते हैं !
⇨ यह अनेक खोखली व गोल पुटिकाओं से मिलकर बनता है इन पुट्टिकाओं की गुहा में आयोडीन युक्त गुलाबी रंग का कॉलायडी पदार्थ स्रावित होता है जिसे थाइरोग्लोब्यूलिन कहते हैं !

⇨ हमारे भोजन में आयोडीन की कमी से थायरायड ग्रन्थि में वृद्धि हो जाती है जिससे गलगंड (गॉयटर), घेंघा रोग हो जाता है !

थायरॉयड ग्रन्थि से स्रावित होने वाला हार्मोन 

थायरॉक्सिन हार्मोन – यह हार्मोन कोशिकीय श्वसन की गति तीव्र करता है ! यह पीयूष ग्रन्थि द्वारा स्रावित हार्मोन के साथ क्रिया कर शरीर में जल संतुलन का नियंत्रण करता है इस हार्मोन की कमी से थायरॉयड ग्रन्थि के आकार में असामान्य वृद्धि हो जाती है !
थायरॉक्सिन हार्मोन लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया में सहायता करते हैं !

4. पैराथायरॉयड ग्रन्थि (परावटु ग्रन्थि)

⇨ यह मटर की आकृति के समान होती है
⇨ यह थायराइड ग्रंथि के पिछले भाग में स्थित रहती है और संयोजी उत्तक के एक संपुट द्वारा उनसे अलग रहती है !
⇨ थायरॉयड ग्रन्थि की दो पालियों पर प्रत्येक में एक जोड़ी पैराथायरॉयड ग्रन्थियाँ पाई जाती है !

पैराथायरॉयड ग्रन्थि से स्रावित हार्मोन 

पैराथायरॉयड ग्रन्थि द्वारा दो हार्मोन का स्राव होता है यह दोनों रक्त में कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा का नियंत्रण करते हैं !

1. पैराथायराइड हार्मोन – यह हार्मोन जब रक्त में कैल्शियम की कमी होती है तब स्रावित होता है एवं यह कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है ! यह शरीर में कैल्शियम के स्तर को बनाए रखता है ! यह हार्मोन हड्डियों की वृद्धि एवं दांतों के निर्माण का नियंत्रण करता है !

2. कैल्सीटोनिन हार्मोन – जब रक्त में कैल्शियम की मात्रा अधिक हो जाती है तब यह हार्मोन स्रावित होता है यह हार्मोन पैराथायराइड हार्मोन के विपरीत काम करता है यह मूत्र में कैल्शियम के उत्सर्जन को बढ़ाता है !

5. एड्रीनल (अधिवृक्क ग्रन्थि)

⇨ यह ग्रंथि प्रत्येक वृक्क के ऊपरी सिरे पर अंदर की ओर स्थित रहती हैं !
⇨ ये ग्रन्थियाँ दो प्रकार के उत्तकों से निर्मित होती हैं – 

1. कॉर्टेक्स (बाहरी भाग)

2. मेडुला (अंदरूनी भाग)

1. एड्रीनल कॉर्टेक्स द्वारा स्रावित हार्मोन 

ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स हार्मोन – ये कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा के उपापचय का नियंत्रण करते हैं ! ये हार्मोन शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ाते हैं तथा श्वेत रुधिर कणिकाओं को नियंत्रित करते हैं

मिनरलोकॉर्टिकॉइड्स हार्मोन – इनका मुख्य कार्य लवण के पुन: अवशोषण एवं शरीर में अन्य लवणों की मात्रा का नियंत्रण करना है ये शरीर में जल संतुलन को भी नियंत्रित करते हैं !

लिंग हार्मोन – ये हार्मोन बालों के आने का प्रतिमान एवं यौन आचरण का नियंत्रण करते हैं ! ये हार्मोन मुख्यतः नर हार्मोन एंड्रोजेन्स तथा मादा हार्मोन एस्ट्रोजन्स होते हैं !
स्त्रियों में इस हार्मोन की अधीकता से चेहरे पर बाल बढ़ने लग जाते हैं !

2. एड्रिनल मेडुला द्वारा स्रावित हार्मोन

एड्रीनेलीन – इस हार्मोन को एड्रीनिन भी कहते हैं ! यह हार्मोन मेडुला से स्रावित हार्मोन का अधिकांश भाग होता है यह हार्मोन क्रोध, डर, मानसिक तनाव, व्यस्तता की अवस्था में अत्यधिक स्रावित होने लगता है जिससे व्यक्ति संकटकालीन परिस्थितियों में उचित कदम उठाने के लिए निर्णय ले सकता है ! 
यह हार्मोन रोंगटे खड़े कर देता है एवं हृदय की धड़कन को बढ़ा देता है !
इसे लड़ो और उड़ो हार्मोन भी कहा जाता है

नॉर एड्रीनेलीन हार्मोन – यह हार्मोन हृदय स्पंदन के अचानक रूक जाने पर उसे पुन: चालू करने में सहायक है ! 

6. थाइमस ग्रन्थि

⇨ यह ग्रंथि वक्ष में हृदय से आगे एवं फेफड़ों के बीच स्थित एक पालीयुक्त संरचना है !
⇨ थाइमस ग्रन्थि प्रतिरक्षा के तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है !
⇨ यह ग्रंथि वृद्धावस्था में लुप्त हो जाती है !
⇨ बढ़ती उम्र के साथ थाइमस ग्रन्थि का अपघटन होने लगता है इसी कारण वृद्धों में प्रतिरक्षण क्रिया कमजोर हो जाती है !

थाइमस ग्रंथि से स्रावित हार्मोन

थाइमोसिन हार्मोन – यह एक पेप्टाइड हार्मोन है ! यह हार्मोन शरीर में लिंफोसाइट कोशिकाएं बनाने में सहायक होता है यह हार्मोन लिंफोसाइट को जीवाणुओं एवं एंटीजन्स को नष्ट करने के लिए प्रेरित करता है ! यह शरीर में एंटीबॉडी बनाकर शरीर के सुरक्षा तंत्र को स्थापित करने में सहायक है !

7. अग्नाशय ग्रन्थि (पैंक्रियाज ग्लैण्ड)

⇨ अग्नाशय एक संयुक्त ग्रन्थि है जो बहि: स्रावी एवं अंत: स्रावी दोनों रूप में कार्य करती है !
⇨ यह एक हल्के पीले रंग की विस्तृत ग्रंथि है !
⇨ यह अमाशय एवं ड्यूडेनम के बीच स्थित होती है !
⇨ इसके अग्नाशय रस में पाचक एंजाइम पाए जाते हैं इस रूप से यह बहि: स्रावी ग्रन्थि का काम करती है
⇨ अग्नाशय में विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं के समूह पाए जाते जिन्हें लैंगरहैंस की द्विपिकाएं कहते हैं
⇨ सभी 
लैंगरहैंस की द्विपिकाएं अंत: स्रावी ग्रन्थि के रूप में कार्य करती हैं
⇨ साधारण मनुष्य के अग्नाशय में लगभग 10 से 20 लाख लैंगरहैंस द्वीप होते हैं !  

लैंगरहैंस की द्विपिका में मुख्य रूप से तीन प्रकार की कोशिकाएं पाई जाती है जो निम्नलिखित हैं –

1. α अल्फा कोशिकाएं 
2. β बीटा कोशिकाएं 

3. γ गामा या डेल्टाकोशिकाएं

ग्लूकागोन हार्मोन – यह एक पेप्टाइड हार्मोन है ! ये अल्फा कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है ! यह उत्तकों में ग्लूकोज के उत्पादन में भी सहायक है ! 

इंसुलीन हार्मोन – यह हार्मोन बीटा कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता हैं ! यह पेशियों में ग्लूकोज उपापचय को तीव्र करता है ! इंसुलिन मुख्यत: हिपेटोसाइट और एपिडोसाइट पर कार्य करता है और कोशिकीय ग्लूकोज अभिग्रहण और उपयोग को बढ़ाता है इसके फलस्वरूप ग्लूकोज तीव्रता से रक्त हिपेटोसाइट और एपिडोसाइट में जाता है तथा रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है !
अगर इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन करना बंद कर दे तो मूत्र एवं रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाएगी ! 

सोमेटोस्टेटिन हार्मोन – यह हार्मोन डेल्टा कोशिकाओं या गामा कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है !यह पॉली पेप्टाइड हार्मोन होता है ! जो पचे हुए भोजन के स्वांगीकरण की अवधि को बढ़ाता है !

8. पिनियल ग्रन्थि

⇨ मानव शरीर की सबसे छोटी ग्रन्थि पीनियल ग्रंथि है !
⇨ यह मानव मस्तिष्क के मध्य में एपिथैलेमस नामक क्षेत्र में दो गोलार्द्ध के बीच स्थित होती है ! 

पिनियल ग्रन्थि से स्रावित हार्मोन 

मेलाटोनिन हार्मोन – यह हार्मोन हमारे शरीर की दैनिक लय के नियमन का एक महत्वपूर्ण (सोने-जगने का) कार्य करता है ! मेलाटोनिन का स्राव अंधेरे के समय उच्च एवं दिन के उजाले में कम होता है !

सेरोटोनिन हार्मोन इस हार्मोन को मेलाटोनिन हार्मोन का अग्रदूत माना जाता है ! 

9. जनन ग्रन्थियां

1. वर्षण

⇨ नर के उदर गुहा के बाहर वृषण कोष में एक जोड़ी वृषण स्थित होता है
⇨ वर्षण प्राथमिक लैंगिक अंग के साथ ही अंतः स्रावी ग्रंथि के रूप में भी कार्य करता है !
⇨ इससे ही एंड्रोजन या नर हार्मोन तथा टेस्टोस्टेरोन प्रमुख हार्मोन का स्राव होता है
⇨ एंड्रोजन हार्मोन शुक्राणु निर्माण की प्रक्रिया में प्रेरक भूमिका निभाते हैं

2. अण्डाशय

⇨ माताओं के उदर में अंडाशय का एक युग में होता है
⇨ अंडाशय एक प्राथमिक मादा लैंगिक अंग है जो प्रत्येक मासिक चक्र में एक अंडे को उत्पादित करती है 

एस्ट्रोजन हार्मोन – का संश्लेषण एवं स्राव प्रमुख रूप से परिवर्धित हो रहे अंडाशयी पुटकों द्वारा होता है
एस्ट्रोजन स्त्रियों के लैंगिक व्यवहार का नियामक भी है !

प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन – यह स्टेरॉयड हार्मोन समूह से संबंधित है !ये हार्मोन प्रसवता में सहायक होते हैं ! यह भी एक मादा हार्मोन है

 

मैं सुनील सुथार ! मेरी वेबसाइट पर आप सभी का स्वागत है ! इस प्लेटफॉर्म से आपको सामान्य विज्ञान (Biology, Physics, Chemistry & Botany) से संबंधित टॉपिक वाइज स्टडी मैटीरियल प्राप्त होगा जो सभी प्रकार के Competition Exams लिए उपयोगी रहेगा !

Sharing Is Caring:

Leave a Comment

error: Content is protected !!