Dr. Rajendra Prasad | डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
भारत के पहले राष्ट्रपति और सबसे ज्यादा कार्यकाल तक रहने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बारे में इस पोस्ट में संक्षिप्त रूप से बताया गया है ! डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्म से लेकर निधन तक की प्रमुख घटनाओं को इस पोस्ट में जोड़ा गया है ! आशा करता हूँ आपको इस पोस्ट से डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में अवश्य जानकारी मिलेगी !
Dr. Rajendra Prasad | डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
1. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को हुआ था !
2. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म गाँव जीरादेई, जिला सारण (सीवान), बिहार में हुआ था !
3. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के पिता का महादेव सहाय नाम था !
4. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की माता का कमलेश्वरी देवी नाम था !
5. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का 13 वर्ष की आयु में ही विवाह राजवंशी देवी के साथ हुआ था !
डॉ. भीमराव अम्बेडकर से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
6. लोकप्रियता के कारण डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को राजेन्द्र बाबू और देशरत्न नामों से पुकारा जाता था !
7. गाँधी जी से प्रभावित होकर राजेन्द्र बाबू ने कोलकाता विश्वविधालय के सीनेटर (1921) का पद त्याग दिया था !
8. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में राजेन्द्र बाबू 1934 (मुंबई अधिवेशन) में चुने गये !
9. राजेन्द्र बाबू ने दूसरी बार कांग्रेस के अध्यक्ष का पदभार 1939 को संभाला था !
10. 1939 में राजेन्द्र बाबू का कांग्रेस के अध्यक्ष का पदभार संभालने का कारण सुभाष चन्द्र बोस का त्याग पत्र था !
11. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में पदग्रहण 26 जनवरी 1950 को किया !
12. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद 14 मई 1962 तक (12 वर्ष) तक देश के राष्ट्रपति रहे !
13. अब तक (2020) के राष्ट्रपति के कार्यकाल में सबसे ज्यादा कार्यकाल डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का रहा है !
14. भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 1962 में दिया गया !
15. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा लिखी गई मुख्य पुस्तक इंडिया डिवाइडेड (1946) और सत्याग्रह एट चम्पारण (1922) है !
16. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का निधन 28 फरवरी 1963 को हुआ था !
17. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का निधन पटना के निकट सदाकत आश्रम में हुआ था !
गाँधी जी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य –
सरोजनी नायडू ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बारे में लिखा है
“उनकी असाधारण प्रतिभा, उनके स्वभाव अनोखा माधुर्य, उनके चरित्र की विशालता और अति त्याग गुण ने
शायद उन्हें हमारे सभी नेताओं से अधिक व्यापक और व्यक्तिगत रूप से प्रिय बना दिया है
गाँधी जी के निकटतम शिष्यों में उनका वही स्थान है जो ईसा मसीह के निकट सेंट जॉन का था ”
BEST OF LUCK