Blood Circulatory System | रक्त परिसंचरण तंत्र
Blood Cerculatory System – रक्त परिसंचरण तंत्र से संबंधित Detail Post ! इस पोस्ट में रक्त परिसंचरण तंत्र के बारे में विस्तार से बताया गया है ! जीव विज्ञान (Biology) का बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है रक्त परिसंचरण तंत्र ! इस टॉपिक से हर बार Competition Exams में Questions पूछे जाते हैं !
आप इस Chapter को ध्यान से पढ़े ताकि आपको इसका फायदा मिले !
अगरआपको मेरी ये पोस्ट Blood circulatory system अच्छी लगे तो अपनी प्रतिक्रिया जरूर देवें !
Blood Circulatory System | रक्त परिसंचरण तंत्र
इस पोस्ट में आप जानेगें …
• रक्त परिसंचरण के प्रकार
• रक्त क्या है
• रक्त के कार्य
• रक्त के घटक
• लाल रक्त कोशिकाएं (RBC)
• श्वेत रक्त कोशिकाएं (WBC)
• बिम्बाणु (Platelets)
• प्लाज्मा
• रक्त वाहिनियाँ
• गर्म रक्त एवं शीत रक्त प्राणी
• रक्त से संबंधित अन्य तथ्य
अंत: स्रावी ग्रंथियाँ एवं हार्मोन Detail Post
रक्त परिसंचरण क्या है एवं प्रकार
रक्त परिसंचरण तंत्र के अन्तर्गत रुधिर का बहाव या एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवागमन होता है जिसमें मुख्य रूप से हृदय, फेफड़े, धमनी व शिरा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं !
रक्त परिसंचरण तंत्र दो तरह का होता है – खुला एवं बंद परिसंचरण !
पक्षियों व स्तनधारियों में बंद परिसंचरण तंत्र पाया जाता है !
कीटों में खुला रक्त परिसंचरण तंत्र होता है !
बन्द परिसंचरण तंत्र का अर्थ – रक्त उनकी वाहनियों में होकर बहता है !
खुला परिसंचरण तंत्र का अर्थ – इसमें रक्त सीधा अंगो के सम्पर्क में रहता है !
आज हम इस पोस्ट में बंद परिसंचरण तंत्र के बारे में Detail में जानेगें –
रक्त क्या है
रक्त ठोस (कोशिकाएं) एवं तरल (प्लाज्मा) पदार्थ से मिलकर बना होता है ! सम्मिलित रूप से रक्त एक तरल पदार्थ है जिसे लहू, खून एवं रुधिर भी कहा जाता है ! यह मानव शरीर में शिराओं एवं वाहनियों द्वारा परिसंचरित (लगातार बहता रहता है) होता है ! बनावट में यह गाढ़ा, चिपचिपा, लाल रंग का है ! यह एक संयोजी उत्तक एवं प्राकृतिक कोलाइड है !
रक्त के कार्य
फेफड़ों की वायु से ऑक्सीजन लेकर इसे शरीर के प्रत्येक अंगों तक पहुँचाना !
शरीर के प्रत्येक भाग से कार्बन डाई ऑक्साइड तथा दूषित पदार्थों को अपने साथ लेकर उन अंगों तक पहुँचाना जो इन दूषित पदार्थों को निकालने का कार्य करते हैं !
भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों (जैसे – ग्लूकोज, खनिज व प्रोटीन) एवं हार्मोन को यह कोशिकाओं तक पहुंचाता है !
शरीर के आंतरिक तापमान को बनाए रखता है
रक्त के अवयव (घटक)
रक्त तरल एवं ठोस पदार्थों से मिलकर बना होता है जिसमें प्लाज्मा एवं रक्त कोशिकाएं शामिल हैं !
रक्त में रक्त कोशिकाएं 45% एवं प्लाज्मा 55% पाया जाता है !
ठोस पदार्थ के रूप में रक्त कोशिकाएं होती है जो निम्न हैं –
1. लाल रक्त कोशिकाएं (RBC)
2. श्वेत रक्त कोशिकाएं (WBC)
3. बिम्बाणु (प्लेटलेट्स)
1. लाल रक्त कोशिकाएं (RBC)
इसे एरिथ्रोसाइट्स भी कहा जाता है !
लाल रक्त कणिकाएं सबसे ज्यादा (40%) पाई जाने वाली कोशिकाएं हैं !
ये रुधिर में 45 – 50 लाख /ml पाई जाती है !
RBC (लाल रक्त कणिका) श्वसन अंगों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं तक पहुंचाने का कार्य करती हैं !
RBC का जीवन काल 20 -120 दिन का होता है !
हीमोग्लोबिन नाम प्रोटीन भी इसी कणिका में पाया जाता है !
लाल रक्त कणिका का निर्माण अस्थिमज्जा में एवं इनका विनाश प्लीहा में होता है !
प्लीहा को RBC का कब्रिस्तान कहा जाता है !
इन कोशिकाओं में केन्द्रक अनुपस्थित होता है !
RBC की कमी से एनीमिया रोग हो जाता है !
2. श्वेत रक्त कोशिकाएं (WBC)
इन्हें श्वेताणु या ल्यूकोसाइट्स भी कहा जाता है !
इनमें केन्द्रक पाया जाता है !
इनका जीवन काल 5 – 8 दिन (साधारणतया 2 – 4 दिन) का होता है !
ये कोशिकाएं रुधिर में 5000 – 9000 /ml पाई जाती है !
इनमें हीमोग्लोबिन प्रोटीन नहीं होने के कारण इनका रंग श्वेत अर्थात ये रंगहीन कोशिकाएं होती हैं !
ये अनियमित आकार की होती हैं !
WBC आकार में RBC की तुलना में बड़ी होती हैं परंतु संख्या में कम होती हैं !
श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर को संक्रमण से बचाती हैं ये प्रतिरक्षण का कार्य करती हैं !
ये एंटीजन एवं एंटीबॉडी का निर्माण करती हैं !
WBC की अधीकता से ल्यूकोमिया रोग हो जाता है जिसे ब्लड कैंसर भी कहा जाता है !
श्वेत रक्त कोशिकाएं 5 प्रकार की होती हैं ! इनको कणों की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति के आधार पर मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है –
1. ग्रेन्यूलोसाइट्स – इस प्रकार की कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में कणिकाओं की उपस्थिति होती है अर्थात ये दानेदार कोशिकाएं होती हैं ! इनके केन्द्रक में लॉब (पालियाँ) पाए जाते हैं !
ग्रेन्यूलोसाइट्स के अन्तर्गत तीन प्रकार आते हैं –
I. न्यूट्रोफिल्स या हेटरोफिल्स – ये WBC में सर्वाधिक (60 – 70 प्रतिशत) पाई जाती है ! इनका व्यास 10 – 12 माइक्रोमीटर होता है ! ये कोशिकाएं लाइसोसोम के साथ मिलकर बैक्टीरिया का नाश करती हैं एवं एक ऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती हैं ! इनका जीवन काल 10 – 12 घंटे का होता है !
II. एसिडोफिल्स या इओसिनोफिल्स – ये कुल WBC का 2 – 4 प्रतिशत होती है ! जो न्यूट्रोफिल्स के बाद मात्रा में दूसरे स्थान पर आती हैं ! इनका व्यास 10 – 12 माइक्रोमीटर होता है जो लगभग न्यूट्रोफिल्स के आकार के समान होती है ! ये कोशिकाएं एलर्जी और अस्थमा को नियंत्रित करने का कार्य करती हैं !
III. बेसोफिल्स – ये कुल श्वेत रक्त कणिकाओं का 0.5 से 1 प्रतिशत तक होती हैं अर्थात संख्या में ये सबसे कम पाई जाती है ! इन कोशिकाओं का व्यास 8 – 10 माइक्रोमीटर होता है ! ये कोशिकाएं हिस्टमाइन, हेपेरिन एवं सेरोटोनिन का स्राव करती हैं ! इनका जीवन काल 8 – 12 घंटे का होता है !
2. एग्रानुलोसाइट्स – ये कणिकाविहीन रुधिराणु होते हैं अर्थात इस प्रकार के रुधिराणु के कोशिका द्रव्य में कणिकाएं नहीं पाई जाती है ! इनके केन्द्रक बहुत बड़े होते हैं ! इनके केन्द्रक में लॉब नहीं होते हैं !
एग्रानुलोसाइट्स के अन्तर्गत दो प्रकार की कणिकाएं आती हैं –
I. – लिम्फोसाइट्स – ये कणिकाएं आकार में छोटी होती हैं एवं इनमें केन्द्रक बड़ा होता है ! ये प्रतिरक्षा का काम करती हैं ! ये एंटीबॉडीज का निर्माण करती हैं ! ये कुल WBC का 20 से 40 प्रतिशत होती हैं ! इनका आकार 8 – 10 माइक्रोमीटर तक होता है
लिम्फोसाइट्स कोशिकाएं दो प्रकार की होती हैं – B लिम्फोसाइट्स एवं T लिम्फोसाइट्स ! ये कोशिकाएं शरीर में इम्यूनिटी को बढ़ती हैं !
II. मोनोसाइट्स – ये आकार में बड़ी होती हैं ! इनका आकार 12 – 20 माइक्रोमीटर तक होता है ! इनका केन्द्रक बड़ा एवं बीच में से दबा हुआ होता है अर्थात सेम के आकार का इनका केन्द्रक होता है ! ये कुल WBC का 3 – 8 प्रतिशत होती है ! ये बैक्टीरिया को चारों तरफ से घेरकर उनका भक्षण (नष्ट) करती हैं ! ये मृत कोशिकाओं को साफ करती हैं
3. बिम्बाणु (Platelets)
इन्हें थ्रोम्बोंसाइट्स कहा जाता है !
ये रुधिर में लगभग 2.5 लाख /ml पाई जाती हैं !
ये कोशिकाएं शरीर पर घाव या चोट लगने से खून के बहाव को रोकने में मदद करती है !
प्लेटलेट्स की वजह से चोट वाले स्थान पर रक्त का थक्का (स्कंदन) बन जाता है जिससे जल्दी से ठीक होने में मदद मिलती है !
रक्त का स्कंदन फाइब्रिनोजेन नामक एंजाइम से होता है !
विटामिन K भी रक्त के स्कंदन में सहायक है !
विटामिन K की कमी से रक्त का थक्का नहीं बनता जिससे लगातार खून के बहाव से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है !
प्लाज्मा (तरल भाग)
यह रक्त का तरल भाग है जो हल्के पीले रंग का होता है !
रक्त में इनका योगदान 55% है !
रक्त प्लाज्मा में आवश्यक पोषक तत्व, प्रोटीन, जल, एंजाइम जैसे अन्य महत्वपूर्ण घटक भी होते हैं !
प्लाज्मा में 90% जल पाया जाता है एवं अन्य 10% कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं !
प्लाज्मा में कार्बनिक पदार्थ 8 – 9 प्रतिशत पाए जाते हैं बाकी अकार्बनिक पदार्थ होते हैं !
कार्बनिक पदार्थ में सबसे ज्यादा (7 – 8%) प्रोटीन पाया जाता है !
प्लाज्मा में पाए जाने वाले प्रोटीन एवं एंजाइम निम्न हैं –
एलब्यूमिन
ग्लोब्यूलिन
फाइब्रिनोजेन
एलब्यूमिन – यह वसामय उत्तकों से शरीर में महत्वपूर्ण अम्लों का निर्माण करता है ! यह शारीरिक क्रिया को नियंत्रित करके रक्त में हार्मोन एवं अन्य पदार्थों के परिसंचरण में सहयोग करता है !
ग्लोब्यूलिन – यह प्रोटीन मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमताओं को पैदा करता है !
फाइब्रिनोजेन – यह एक एंजाइम है जो रक्त के थक्के में सहायक है !
रक्त वाहिनियाँ
मानव रक्त का परिसंचरण वाहिनियों द्वारा होता है जिन्हे रक्त वाहिनियां कहा जाता है ! मानव शरीर में तीन प्रकार की वाहिनियां मौजूद होती हैं जो निम्न हैं –
1. धमनी
2. शिरा
3. केशिका
1. धमनी
शुद्ध रक्त (ऑक्सीजन युक्त) को हृदय से शरीर के अन्य अंगों तक ले जाने वाली वाहिनियां धमनी कहलाती है ! महाधमनी इनमें से सबसे बड़ी धमनी होती हैं यह शरीर की सबसे बड़ी तथा मुख्य धमनी है जो हृदय के बाएं निलय से आरंभ होती है और पुन : हृदय के दाएं आलिंद में वापिस जाती है !
फुफुस धमनी जो शरीर के दाहिने भाग में होती हैं अशुद्ध रक्त को (फुफुस) फेफड़ों तक ले जाती है !
वृक्क धमनी गुर्दे को रक्त की आपूर्ति करने वाली रुधिर वाहिका है !
यकृत धमनी जिगर को ऑक्सीज़न युक्त रक्त पहुंचाने वाली रुधिर वाहिका है !
2. शिरा (नसें)
शरीर के विभिन्न अंगों से अशुद्ध (ऑक्सीजन रहित) रक्त को हृदय की और लाने वाली वाहिनियां शिरा कहलाती है ! पल्मोनरी शिरा एक ऐसी शिरा है जिसमे शुद्ध रक्त बहता है !
शिराओं की दीवारें पतली होती है जिसमे रुधिर कम दबाव के कारण सामान्य गति से बहता रहता हैं !
3. केशिका
ये बहुत ही पतली रुधिर वाहिनियां होती है जिसमे से रक्त बहुत धीमे बहता है !
केशिकाएं रक्त एवं उत्तकों के बीच पदार्थों का आदान प्रदान करती हैं !
मानव शरीर की सबसे बड़ी रक्त वाहिका एओर्टा है
गर्म रक्त प्राणी
गर्म रक्त वाले प्राणियों के शरीर का तापमान हर वातावरण में एक समान बना रहता है !
बंदर, भालू, शेर, चूहा, भेड़िया सभी स्तनधारी जीव गर्म रक्त वाले प्राणी हैं !
मनुष्य भी गर्म रक्त वाले प्राणियों के अन्तर्गत आता है !
शीत रक्त प्राणी
शीत या ठंडे रक्त वाले सभी जीव अपने शरीर के तापमान को आंतरिक रूप से अपने वातावरण के बदलते तापमान के संबंध में नियंत्रण करने में असमर्थ होते हैं !
सभी सरीसृप, कछुआ, सांप और छिपकली ये सभी शीत (ठंडे) रक्त वाले जानवर हैं !
रक्त से संबंधित अन्य तथ्य
रक्त परिसंचरण तंत्र की खोज विलियम हार्वे ने की थी
रक्त का अध्ययन हिमैटोलॉजी कहलाता है !
रक्त का pH मान 7. 4 अर्थात हल्का क्षारीय होता है !
रक्त दाब मापने वाले यंत्र को स्फिग्नोमिटर कहा जाता है !
रक्त निर्माण की प्रक्रिया हिमोपोइसिस कहलाती है !
मानव शरीर में सामान्य रक्त चाप 120/80 MM होता है !
सामान्य व्यक्ति में लगभग 6 लीटर रक्त होता है !
रक्त का लाल रंग फेरस आयन के कारण होता है जो हीमोग्लोबिन में पाया जाता है !
रक्त में हीमोग्लोबिन एक ऐसा प्रोटीन है जिसमे भरपूर मात्रा में लौह (आयरन) पाया जाता है !
रक्त में एक ग्राम हीमोग्लोबिन द्वारा 1.34 मिली ऑक्सीज़न का परिवहन होता है !
रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने वाला हार्मोन इन्सुलिन है !
रक्त के दाब को नियंत्रण करने वाली ग्रंथि अधिवृक्क (एड्रिनल) ग्रंथि है !
मनुष्य के शरीर में खून की शुद्धिकरण की प्रक्रिया को डायलेसिस कहा जाता है !
लोहित कोशिकाओं की सह्ययता से रक्त द्वारा ऑक्सीज़न ले जाया जाता है !
हमारे शरीर में रक्त का दाब वायुमंडलीय दाब से अधिक होता है !
रक्त का ग्लूकोज स्तर सामान्यत: मिलीग्राम प्रति डेसिलिटर में व्यक्त किया जाता है !
मानव रुधिर में कोलेस्ट्रॉल का सामान्य स्तर 180 – 200 mg % होता है !
खून के थक्के का पता लगाने के लिए सोडियम – 24 रेडियो समस्थानिक प्रयोग में लिया जाता है !
रक्त का थक्का बनने में फाइब्रिनोजेन को फाइब्रिन के रूप में बदलने वाला एंजाइम थ्रोम्बिन है !
कैल्शियम एक ऐसा तत्व है जो रक्त को जमाने में सहायक होता है !
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